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Korba: उजड़ते आशियाने में उम्मीदें भी उजड़ गई थीं, अब बनती दीवारों में सज गया है नया सपना*

**उजड़ते आशियाने में उम्मीदें भी उजड़ गई थीं, अब बनती दीवारों में सज गया है नया सपना*


*पहाड़ी कोरवा गुरुवारी बाई टूटते मिट्टी के घर के सामने बन रहा पक्का मकान*


*पीएम जनमन आवास से वृद्धावस्था में नहीं रहेगी आवास की चिंता*

कोरबा पाली शशि मोहन



कोरबा उम्र के साथ कमजोर होती शरीर और पकते हुए बालो के बीच आँखों में अनगिनत ख़्वाब लिए विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा गुरुवारी बाई को लगता था कि अब उनकी जिंदगी भी मिट्टी के टूटते मकानों की तरह एक दिन ऐसी ही ढह जाएगी। उन्होंने पक्के मकान की जो उम्मीद लगा रखी थीं वह भी कभी पूरा नहीं होगा ! पति के मौत के बाद अलग-थलग पड़ी गुरुवारी बाई को इस बात का भी मलाल था कि वह अपने बेटे के लिए भी कुछ नहीं कर पाई। जो आशियाना है वह भी मिट्टी का है और परत दर परत इस घर की दीवारें भी उखड़ती चली जा रही है। ऐसे में बच्चों का भविष्य आने वाले दिनों में क्या होगा ? घने जंगल के बीच कच्चे और टूटते मकान में अक्सर चिंता में डूबी गुरुवारी बाई भी उम्मीद हार ही चुकी थी कि उसका भी कभी पक्का मकान बनेगा...लेकिन एक दिन देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने जंगलों में गरीबी और गुमनामी के बीच बसर कर रहे विशेष पिछड़ी जनजाति परिवारों की सुध लेते हुए पीएम जनमन योजना की शुरुआत की तो गुमनामी में जी रही गुरुवारी बाई जैसी अनेक परिवारों को नई उम्मीद और नई पहचान मिल गई। प्रधानमंत्री जनमन योजना से अनेक योजनाओं से जुड़ने के साथ ही पक्का मकान भी इनके नाम हो गया है। अब उजड़ते हुए मकान की चिंता करना छोड़ गुरुवारी बाई अपने घर के सामने मजबूत नींव के साथ खड़ी होती मजबूत दीवारों में अपने बच्चों का सुनहरा सपना संजोने लगी है।

   कोरबा विकासखंड के अंतर्गत ग्राम सरडीह में निवास करने वाली पहाड़ी कोरवा जनजाति की गुरुवारी बाई ने बताया कि उम्र के साथ वह अब ज्यादा कही आना-जाना नहीं कर सकती है। उन्होंने बताया कि 20 साल पहले पति के मौत के बाद वह सदमे जैसी जिंदगी जीती आई। गरीबी के बीच बच्चों का लालन-पोषण कर किसी तरह बड़ा की लेकिन वह अपने कच्चे मकान को और मजबूत नहीं बना पाई। उन्होंने बताया कि साल-दर-साल बारिश से उनका आशियाना टूटता ही जा रहा है। पहले वह अपने मकान की दीवारों को हर साल मिट्टी से परत चढ़ाकर कुछ जतन कर भी लेती थी,लेकिन अब उम्र के साथ उनकी ताकत नहीं रही। पहाड़ी कोरवा गुरुवारी बाई ने बताया कि बारिश में अक्सर मिट्टी के घर में मुसीबतों को झेलना पड़ा। जंगल के बीच मिट्टी के घर में रहने से हाथियों का डर भी हमेशा सताता रहता है। उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा नुकसान बारिश में ही हुआ है। खपरैल से पानी टपकने के बाद वह छत पर नहीं चढ़ सकती थी और बारिश का हर नुकसान उन्हें सहना पड़ता था। गुरुवारी बाई ने बताया कि कुछ माह पहले जब उन्हें बताया गया कि सभी पहाड़ी कोरवा परिवार का पक्का मकान बनेगा तो उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था। जब मकान बनाने के लिए दस्तावेज लिए और घर बनना शुरू हुआ तो यकीन हुआ कि अब सचमुच वह अपने बेटों के साथ पक्के घर में रहेगी। उन्होंने बताया कि टूट रही झोपड़ी के बीच पक्का मकान बनता हुआ देखकर बहुत खुशी महसूस हो रही है। आने वाले कुछ महीनों में बारिश से पहले यह घर बनकर तैयार भी हो जाएगा और वह इसमें रहने लगेगी। पहाड़ी कोरवा गुरुवारी बाई का कहना है कि लंबे समय से उनके लिए किसी ने सोचा ही नहीं, देश के प्रधानमंत्री ने हम जैसे गरीब परिवारों के लिए पीएम जनमन योजना लाकर और पक्का मकान बनवाकर एक नई जिंदगी दे दी है।

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