## जीराटोला में सरपंच की मनमानी: सरकारी तालाब पर अवैध खनन का आरोप, विकास कार्यों पर सवालिया निशान
संवादाता मंदीप चौरे
स्थान खैरागढ़
**खैरागढ़, ग्राम नर्मदा से महज 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत जीराटोला में सरपंच कांति मंडवी के संरक्षण में चल रहा एक बड़ा अवैध खनन का मामला सामने आया है। यह अवैध गतिविधि सीधे-सीधे सरकारी तालाब पर हो रही है, जिसे मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के तहत विकास कार्यों के लिए संरक्षित किया गया है। इस पूरे प्रकरण में ग्राम पंचायत और खनन विभाग से किसी भी प्रकार की अनुमति या प्रस्ताव का अभाव सरपंच की घोर मनमानी को दर्शाता है, जिससे न केवल नियमों की अनदेखी हो रही है, बल्कि सरकारी योजनाओं की पवित्रता पर भी सवाल उठ रहे हैं।
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### सचिव को भी नहीं जानकारी: नियमों की उड़ाई जा रही धज्जियाँ
स्थानीय निवासियों और पंचायत सदस्यों के अनुसार, यह तालाब सार्वजनिक उपयोग और जल संरक्षण के लिए है। हैरत की बात यह है कि इस अवैध खनन के संबंध में ग्राम पंचायत के सचिव को भी कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि इस कार्य के लिए न तो कोई प्रस्ताव लिया गया है और न ही पारित किया गया है। यह साफ तौर पर दर्शाता है कि सरपंच अपनी मनमर्जी से इस अवैध खनन को अंजाम दे रही हैं, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही की धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं।
पूर्व सरपंच मेरावी ने इस गंभीर उल्लंघन पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि ऐसे किसी भी खनन कार्य के लिए **उच्च अधिकारियों से अनुमति लेना अनिवार्य** होता है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि वर्तमान सरपंच ने खनन जैसे महत्वपूर्ण कार्य के लिए प्रस्ताव पारित करने की संवैधानिक अनिवार्यता को भी उचित नहीं समझा। यह स्थिति पंचायत राज व्यवस्था के मूल सिद्धांतों पर कुठाराघात है और नियमों व प्रक्रियाओं के प्रति घोर उपेक्षा का परिचायक है।
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### बिना नंबर प्लेट की गाड़ियां और सरकारी संपत्ति का दुरुपयोग
मौके पर की गई पड़ताल में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। खनन कार्य में लगी कुछ गाड़ियों पर **नंबर प्लेट ही नहीं मिली**, जो अक्सर अवैध गतिविधियों में लिप्त वाहनों की पहचान होती है। वहीं, एक जेसीबी मशीन जिसका नंबर **CG08 ZQ 9407** बताया जा रहा है, धड़ल्ले से खनन कार्य में लगी हुई थी। बिना नंबर प्लेट वाली गाड़ियों का उपयोग स्पष्ट रूप से अवैधता की ओर इशारा करता है और यह भी संकेत देता है कि इस गतिविधि में लिप्त लोग कानूनी पहचान से बचने की कोशिश कर रहे हैं। सरकारी तालाब पर इस तरह से अवैध खनन का मतलब है कि सार्वजनिक संपत्ति का दुरुपयोग निजी लाभ के लिए किया जा रहा है।
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### पर्यावरण और राजस्व को दोहरा नुकसान
इस अवैध खनन से न केवल **सरकारी राजस्व को भारी नुकसान** होने की आशंका है, बल्कि **पर्यावरण पर भी इसका गंभीर नकारात्मक प्रभाव** पड़ सकता है। तालाब से मुरूम निकालने से उसकी जलधारण क्षमता प्रभावित हो सकती है, जिससे जलस्तर में गिरावट और स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान हो सकता है। इसके अलावा, अवैध खनन से भूमि कटाव और प्रदूषण जैसी समस्याएं भी उत्पन्न होती हैं। यह स्थिति पर्यावरण संतुलन और सतत विकास दोनों के लिए हानिकारक है।
ग्रामीणों ने इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप और **कड़ी कार्रवाई की मांग** वे चाहते हैं कि इस अवैध गतिविधि को तुरंत रोका जाए और जो भी दोषी हैं, उनके खिलाफ सख्त कानूनी कदम उठाए जाएं। यह मामला न केवल अवैध खनन का है, बल्कि यह ग्राम पंचायत स्तर पर **कुशासन और जवाबदेही की कमी** का भी एक उदाहरण है, जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।
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**क्या प्रशासन इस अवैध खनन को रोकने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने में सफल होगा, या जीराटोला में नियमों की धज्जियाँ उड़ती रहेंगी?**
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