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Belgahana: सरकार ग्रामीणों को दे रही कहीं ख़ुशी, कहीं ग़म- विकास योजनाओं की आड़ में हो रही उपेक्षा और अव्यवस्था*

*सरकार ग्रामीणों को दे रही कहीं ख़ुशी, कहीं ग़म- विकास योजनाओं की आड़ में हो रही उपेक्षा और अव्यवस्था*


बेलगहना.....वर्तमान में सरकार द्वारा विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्य जारी हैं। विशेष रूप से जनमन योजना के तहत बनाई जा रही सड़कों ने दूर-दराज के वनग्रामों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने का मार्ग खोल दिया है। इससे ग्रामीणों में उत्साह है और लोग आने वाले बेहतर भविष्य की उम्मीद करने लगे हैं।


लेकिन इसी विकास की राह में कुछ परेशानियाँ भी उभर कर सामने आ रही हैं। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत पहले से निर्मित सड़कों पर भारी वाहनों की बेरोकटोक आवाजाही के चलते उनकी हालत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। ये वाहन रेत, गिट्टी, सीमेंट और जीरा स्टोन जैसी सामग्रियों का परिवहन कर रहे हैं, जिससे सड़कें जगह-जगह गड्ढों में तब्दील हो चुकी हैं।


खतरे की चेतावनी बनती सड़कें



कुरदर, सरगोड़, चिखला डबरी जैसे गांवों में चल रहे सड़क निर्माण कार्य का खामियाजा बेलगहना से लुफा मार्ग पर चलने वाले राहगीरों को भुगतना पड़ रहा है। इस मार्ग पर जगह-जगह बने गहरे गड्ढे न केवल दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं, बल्कि जानलेवा साबित हो रहे हैं।


हाल ही की एक घटना में एक हाइवा वाहन अनियंत्रित होकर एक किराना दुकान में जा घुसा, जिससे क्षेत्र में दहशत का माहौल बन गया। भारी वाहनों की तेज रफ्तार न सिर्फ सड़कों को नुकसान पहुँचा रही है, बल्कि मवेशियों और आम लोगों की जान भी खतरे में डाल रही है।


ग्रामीणों की मांग और चिंता

स्थानीय लोगों का कहना है कि:


भारी वाहनों की रफ्तार पर लगाम लगाई जाए



PMGSY की सड़कों पर भारी वाहन परिवहन प्रतिबंधित हो


समय पर सड़कों की मरम्मत और देखरेख की जाए


वैकल्पिक परिवहन मार्ग विकसित किए जाएं

सरकारी योजनाएं यदि सही ढंग से क्रियान्वित हों, तो वे वरदान साबित हो सकती हैं। लेकिन यदि इनका समुचित प्रबंधन न किया जाए, तो यही योजनाएं ग्रामीणों के लिए अभिशाप बन सकती हैं। बेलगहना क्षेत्र की हालत यही कह रही है कि विकास की दौड़ में सतर्कता जरूरी है — वरना खुशियों की राह में ग़म की खाई बन सकती है। 

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