*श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के बलिदान दिवस पर उनके किये गये कार्यों को याद किया*
*पीएमश्री विद्यालय दुर्गूकोंदल में बलिदान दिवस पर भाजपा के द्वारा किया गया वृक्षारोपण*
*पेड़ पर्यावरण को स्वच्छ रखने के साथ साथ हमें जीवनदायनी आक्सीजन प्रदान करतें है- राजु नायक*
दुर्गूकोंदल | विकासखंड दुर्गूकोंदल में आज भाजपा मंडल दुर्गूकोंदल के द्वारा डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के बलिदान दिवस पर शोक सभा का आयोजन किया और उनके बलिदान को और उनके द्वारा किये गये कार्यों को याद करतें हुये देश के लिए बलिदान दिए उसको याद किया गया, जिसमें विकास राजु नायक सभापति जनपद पंचायत दुर्गूकोंदल, भाजपा मंडल अध्यक्ष बिदेसिंह कल्लो, अशोक जैन जिला उपाध्यक्ष पिछड़ा वर्ग मोर्चा, मंडल महामंत्री शकुंतला नरेटी, रामचंद्र कल्लो, मंडल उपाध्यक्ष फूलसिंह मंडावी भाजपा के ज्येष्ठ श्रेष्ठ कार्यकर्त्ता उपस्थित रहे, सभी ने माँ भारती, डॉ श्यामाप्रसाद मुखर्जी, पं. दीनदयाल उपाध्याय जी के छायाचित्र में पुजा अर्चना किया गया | तत्पश्चात सभी वक्ताओं ने मुखर्जी जी के जीवनी पर प्रकाश डाला फिर पीएमश्री विद्यालय दुर्गूकोंदल में जाकर वृक्षा रोपण किया गया और बलिदान दिवस के सम्बन्ध में वक्ता विकास राजु नायक, अशोक जैन, बिदेसिंह कल्लो, रामचंद्र कल्लो, शकुंतला नरेटी ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी की जीवनी के बारे में चर्चा करते हुये कहा कि मुखर्जी जी एक बहुआयामी व्यक्तित्व के स्वामी ही नहीं, एक महान शिक्षाविद्, देशभक्त, राजनेता, सांसद, अदम्य साहस के धनी और सहृदय और मानवतावादी थे, भारत के राष्ट्रवादी महापुरूष डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी के विचारों में संपूर्ण भारत दिखता था। वे सम्पूर्ण भारत को एक रूप मानते थे। डॉ. मुखर्जी इस धारणा के प्रबल समर्थक थे कि सांस्कृतिक दृष्टि से हम सब एक हैं। इसलिए धर्म के आधार पर वे विभाजन के कट्टर विरोधी थे। वे मानते थे कि विभाजन संबंधी उत्पन्न हुई परिस्थिति ऐतिहासिक और सामाजिक कारणों से थी। वे मानते थे कि आधारभूत सत्य यह है कि हम सब एक हैं। हममें कोई अंतर नहीं है। हम सब एक ही रक्त के हैं। एक ही भाषा, एक ही संस्कृति और एक ही हमारी विरासत है। परन्तु उनके इन विचारों को अन्य राजनैतिक दल के तत्कालीन नेताओं ने अन्यथा रूप से प्रचारित-प्रसारित किया। बावजूद इसके लोगों के दिलों में उनके प्रति अथाह प्यार और समर्थन बढ़ता गया। डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी अपने 52 वर्ष के जीवनकाल में और उसमें से भी 14 वर्ष के राजनीतिक जीवनकाल में वे स्वतंत्र भारत के प्रथम सरकार में कैबिनेट मंत्री के पद पर पहुंचे। ज्ञातव्य है कि इस मंत्रीमण्डल में उन्हीं लोगों को लिया गया, जिन्होंने आजादी दिलवाने में प्रमुख भूमिका निभाई और उस समय देश को बचाने के लिये विचार और भावनाओं में जिनके साथ पूरा देश खड़ा था। ऐसे लोगों को प्रमुख जिम्मेदारियां दी गई। डॉ. मुखर्जी के देशभक्ति पूर्ण विचारों से सहमत होकर उन्हें देश के प्रथम राजनीतिक नायकों की श्रृखंला में शामिल किया, लेकिन बाद में पाकिस्तान में हुए हिन्दुओं के नरसंहार के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नेहरू से मतभेद हो गये और उन्होंने केन्द्रीय मंत्रीमण्डल से अपना त्याग पत्र सौंपकर हिन्दूहितों की रक्षार्थ सम्पूर्ण सुख सुविधाओं का परित्याग कर और इस बीड़ा को पूरा करने में पूरे प्राण-पण से जुट गये। इससे पहले डॉ. मुखर्जी पश्चिम बंगाल और पूर्वी पंजाब के अस्तित्व में आने के पीछे एक सक्रिय ताकत के रूप में उभरे। जिसे पूरे राष्ट्र ने स्वीकार किया। कैबिनेट मंत्री का पद छोड़ने के बाद उन्होंने भारतीय जनसंघ की स्थापना की जो बाद में भारतीय जनता पार्टी के रूप में स्थापित हो गई। संसद में उन्होंने सदैव राष्ट्रीय एकता की स्थापना को प्रथम लक्ष्य रखा। संसद में दिए अपने भाषण में उन्होंने पुरजोर शब्दों में कहा था कि राष्ट्रीय एकता की शिला पर ही भविष्य की नींव रखी जा सकती है। देश के राष्ट्रीय जीवन में इन तत्वों को स्थान देकर ही एकता स्थापित करनी चाहिए। क्योंकि इस समय इनका बहुत महत्व है। इन्हें आत्म सम्मान तथा पारस्परिक सामंजस्य के साथ सजीव रखने की आवश्यकता है। है। डॉ मुखर्जी जम्मू काश्मीर को भारत का पूर्ण और अभिन्न अंग बनाना चाहते थे। उस समय जम्मू काश्मीर का अलग झंडा था, अलग संविधान था, वहाँ का मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री कहलाता था। डॉ मुखर्जी ने जोरदार नारा बुलंद किया कि - एक देश में दो निशान, एक देश में दो प्रधान, एक देश में दो विधान नहीं चलेंगे, नहीं चलेंगें। संसद में अपने ऐतिहासिक भाषण में डॉ. मुखर्जी ने धारा-370 को समाप्त करने की भी जोरदार वकालत की थी। अगस्त 1952 में जम्मू की विशाल रैली में उन्होंने अपना संकल्प व्यक्त किया था कि या तो मैं आपको भारतीय संविधान प्राप्त कराऊंगा या फिर इस उदे्दश्य की पूर्ति के लिए अपना जीवन बलिदान कर दूँगा। उन्होंने तात्कालीन नेहरू सरकार को चुनौती दी तथा अपनी दृढ़ निश्चय पर अटल रहे। अपने संकल्प को पूरा करने के लिए वे 1953 में बिना परमिट लिए जम्मू काश्मीर की यात्रा पर निकल पड़े। जहाँ उन्हें गिरफ्तार कर नजरबंद कर लिया गया। 23 जून, 1953 को रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई। वे भारत के लिए शहीद हो गए, और भारत ने एक ऐसा व्यक्तित्व खो दिया जो हिन्दुस्तान को नई दिशा दे सकता था।
अब तक यह रहस्य ही है कि डॉ. मुखर्जी की मृत्यु कैसे हुई। क्या उन्हें पर्याप्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई? अथवा यह चिकित्सकीय हत्या थी? पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. बी.सी. राय और डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी की श्रद्धेय माताजी श्रीमती योगमाया देवी ने मामले की व्यापक जांच कराने और सारे तथ्य सामने लाने की मांग पंडित नेहरू से कई बार पत्र व्यवहार किया। इतनी बड़ी ऐतिहासिक त्रासदी घटित हो चुकी थी और जांच का एक आदेश तक जारी नहीं किया गया था। डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी की हत्या निसंदेह एक राजनीतिक हत्या थी, जिसे तत्कालीन सरकार ने ठण्डे बस्ते में डाल दिया।विकास राजु नायक ने बताया कि वृक्षारोपण का महत्व अनमोल है। पेड़ न केवल हमारे पर्यावरण को स्वच्छ रखते हैं, बल्कि जीवनदायिनी ऑक्सीजन भी प्रदान करते हैं। वे वायु प्रदूषण को कम करते हैं, जलवायु संतुलन बनाए रखते हैं और बाढ़ व मिट्टी के कटाव को रोकते हैं। वृक्ष जीव-जंतुओं को आवास देते हैं और हमारे जीवन को हरा-भरा बनाते हैं। वृक्षारोपण के कई फायदे हैं, जिनमें पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन का सामना करना, भूमि संरक्षण, जैव विविधता का संरक्षण, स्वास्थ्य लाभ, आर्थिक लाभ और प्राकृतिक सौंदर्य शामिल हैं। एक वेबसाइट के अनुसार वृक्षारोपण वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करता है और ऑक्सीजन का उत्पादन करता है, जिससे वायु की गुणवत्ता में सुधार होता है और तापमान नियंत्रित रहता है। इसके अतिरिक्त, वृक्षों की जड़ों से मिट्टी मजबूत होती है, जिससे भूमि का कटाव कम होता है, और वे विभिन्न प्रकार के जीवों के लिए आवास प्रदान करते हैं, जिससे जैव विविधता को बढ़ावा मिलता है। वृक्ष विभिन्न प्रकार के पौधों और जीवों के लिए आवास प्रदान करते हैं, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखने में मदद मिलती है, वृक्षों से लकड़ी, फल और अन्य वन उत्पाद प्राप्त होते हैं, जो आर्थिक रूप से लाभकारी होते हैं, और रोजगार के अवसर भी बढ़ते हैं वृक्षों की उपस्थिति से पर्यावरण शुद्ध होता है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं कम होती हैं और मानसिक शांति मिलती है| वृक्षों से प्राकृतिक सौंदर्य बढ़ता है, जिससे वातावरण खुशनुमा और स्वस्थ होता है, और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलता है| पीएमश्री शासकीय स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम उत्कृष्ट विद्यालय दुर्गूकोंदल में स्कूली बच्चों के साथ में भाजपा मण्डल मंत्री रघुनाथ मंडावी, कार्यालय प्रभारी पूनारथ मणिकपुरी, मण्डल मीडिया प्रभारी संजय उयके, बीरेंद्र जैन, मनकर बोगा, मनीष नरेटी, भाजपा कार्यकर्ता कृष्णा नागवंशी ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के बलिदान दिवस पर में एक पेड़ माँ के नाम के तर्ज में एक पेड़ मुखर्जी जी के नाम से विद्यालय परिसर में छात्र - छात्राओं इको क्लब, राष्ट्रीय सेवा योजना, जूनियर रेड क्रॉस, के विद्यार्थियों एवं समस्त छात्र- छात्राओं का सहयोग रहा फलदार पौधे लगाए गए इस मौके पर समस्त विद्यालय परिवार उपस्थित रहे|
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