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Sakti: सक्ती के रसूखदार जुआरी और सटोरिए कब चढ़ेंगे पुलिस के हत्थे*..?

 सक्ती ,,30/09/2025

महेन्द्र कुमार खांडे 

*सक्ती के रसूखदार जुआरी और सटोरिए कब चढ़ेंगे पुलिस के हत्थे*..?

*राजनीतिक सहारे की तलाश में भटकते अवैध कारोबारी, पुलिस के शिकंजे से सहमे*


सक्ती। 


कभी सटोरियों का गढ़ कहे जाने वाले सक्ती में अब हालात पूरी तरह बदल चुके हैं। पुलिस अधीक्षक अंकिता शर्मा के पदभार संभालने के बाद से ही जिले में अवैध कारोबारियों की कमर टूट चुकी है। जिन सटोरियों का नाम सुनते ही कभी दहशत फैल जाती थी, वे आज राजनीतिक थाली की तलाश में भटक रहे हैं।





राजनीति का सहारा ढूंढते सटोरिए


सूत्रों की मानें तो शहर के कुख्यात सटोरिए अब अपने धंधे को बचाने के लिए राजनीतिक पनाहगार ढूंढ रहे हैं। कभी कांग्रेस की छांव में फलने-फूलने वाले ये चेहरे अब सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा का रुख कर चुके हैं। लेकिन भाजपा का सख्त रुख इनकी राह में सबसे बड़ी दीवार बन चुका है। पार्टी अपनी छवि दागदार करने का जोखिम नहीं उठा रही है, यही वजह है कि सटोरियों को वहां भी जगह नहीं मिल पा रही।


सांसद के दरबार में हाज़िरी


चर्चा तो यहां तक है कि कुछ सटोरिए जिले के प्रभावशाली नेताओं के घरों के चक्कर काटते देखे जा रहे हैं। मसानिया कला में सांसद का गृह निवास होने के चलते वहां भी इनके दर्शन आम हो चले हैं। मगर सत्तारूढ़ दल की रणनीति साफ है – गंदे दामन वालों को न हाथ दिया जाएगा और न ही नज़र मिलाई जाएगी।


पुलिस ने किया कारोबार चौपट


उधर पुलिस अधीक्षक अंकिता शर्मा के सख्त रुख से सटोरियों के धंधे पर लगातार गाज गिर रही है। हर रोज चल रही दबिश और कार्रवाई ने इनके कारोबार के रास्ते बंद कर दिए हैं। लेडी सिंघम की सख्ती से आज सटोरिए हताश, सहमे और बेबस नजर आ रहे हैं। सत्ता पक्ष के लोग भी इनसे दूरी बनाए हुए हैं, जिससे इनके बच निकलने के रास्ते और भी सीमित हो गए हैं।


मीडिया का सहारा, ढोंग का खेल


राजनीति में जगह न मिलने पर अब कुछ सटोरिए मीडिया का मुखौटा पहनकर अपनी साख बचाने की कोशिश कर रहे हैं। खुद के मीडिया संगठन खड़े करने और खबरों की आड़ में अपनी छवि चमकाने का खेल भी जारी है। लेकिन जनता सब समझ रही है – नकली चमक, असली काले धंधे को छुपा नहीं सकती।


जनता की नज़र से बचना नामुमकिन


आज सक्ती की गलियों में चर्चा है कि "सटोरियों का साम्राज्य ढह चुका है।" पुलिस की सख्ती और जनता की जागरूकता के बीच इनका भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है। अब सवाल यही है कि ये युवा सटोरिया जो जेल की चार दीवारी की जगह हॉस्पिटल को अपना घर बनाया था कब तक भागेगा और कब पुलिस के हत्थे चढ़ेंगे..?

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