सक्ती,,,
महेंद्र कुमार खांडे
03/10/2025
*सटोरियों की नई चाल, पुलिस के खौफ में कोरबा-रायपुर खिसका सट्टा कारोबार*
*सक्ती के सटोरिए पुरानी आईडी बेचकर नए क्लेवर में कर रहे खेल*
सक्ती।
सक्ती जिला बनने के बाद पुलिस ने जिस तेजी से जुए-सट्टे और अवैध कारोबारियों पर नकेल कसनी शुरू की है, उसका असर अब साफ नज़र आ रहा है। कभी खुलेआम लाखों-करोड़ों का दांव लगाने वाले सटोरिए अब पुलिस के खौफ से शहर छोड़ भागने को मजबूर हैं, एशिया कप के दौरान जहां क्रिकेट मैदान पर खिलाड़ियों ने चौके-छक्कों से धूम मचाई, वहीं पर्दे के पीछे सटोरियों ने मोटी कमाई भी की। लेकिन खेल खत्म होते ही ‘लेडी सिंघम’ पुलिस कप्तान की सख़्ती ने सटोरियों के होश उड़ा दिए। नतीजा ये हुआ कि अब पूरा नेटवर्क सक्ती से उठकर कोरबा और रायपुर शिफ्ट होने लगा है।
*पुरानी आईडी बेचकर खेला नया दांव*
सूत्र बताते हैं कि पुलिस के रडार पर आने के डर से कई सटोरियों ने अपने पुराने ग्राहकों को दूसरे गिरोहों को बेच दिया। अब ये ग्राहक कोरबा घंटाघर और रायपुर के जरिए जोड़े जा रहे हैं। नगर में चर्चा है कि इस सौदेबाजी में 30 से 40 प्रतिशत कमीशन तय किया गया है। यानी ग्राहक भले सक्ती के हों, लेकिन खेल अब दूसरे जिलों से नियंत्रित हो रहा है।
*अस्पताल में भर्ती होने की चाल पर सवाल*
पिछले दिनों नगर के हृदय स्थल से एक बड़ा सटोरिया गिरफ्तार भी हुआ। पुलिस ने कार्रवाई की, लेकिन जेल पहुंचने से पहले ही आरोपी सीधे जांजगीर अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। तब जेल प्रबंधन पर कई सवाल उठे, सबसे बड़ा सवाल उठा कि आखिर बिना स्थानीय डॉक्टर की सलाह के किसी आरोपी को बाहर के अस्पताल में भर्ती करने की ज़रूरत क्यों पड़ी..? सुरक्षा के विशेष इंतज़ाम भी किए गए, जिससे शक और गहराता है कि सटोरिए के पीछे बैठे आका अब भी अपनी पकड़ बनाए रखना चाहते हैं।
*कोरबा-रायपुर में फैला नेटवर्क, लेकिन खेल खिलाड़ी यहीं के*
भले ही सट्टा नेटवर्क कोरबा और रायपुर से ऑपरेट हो रहा हो, लेकिन दांव लगाने और लगवाने वाले खिलाड़ी ज्यादातर सक्ती और आसपास के ही हैं। यानी खेल चाहे कहीं से भी हो, इसकी जड़ें अभी भी जिले में ही हैं। यही वजह है कि पुलिस लगातार नजर बनाए हुए है और जैसे ही कोई सुराग मिलता है, कार्रवाई करने तैयार रहती है।
*पुलिस कप्तान का खौफ, चर्चा में सटोरियों की दबी जुबान*
सटोरियों में इन दिनों एक चर्चा खूब आम है – बस कप्तान का ट्रांसफर हो जाए, फिर देखना कैसे सट्टे का आतंक लौटता है। लेकिन यह उनकी गलतफहमी है। क्योंकि जो भी कप्तान आएगा, वो भी अधिकारी ही होगा और कानून का पालन कराने के लिए और भी कड़े कदम उठा सकता है। दरअसल यह बयान खुद ही साबित करता है कि मौजूदा कप्तान ने सटोरियों की कमर तोड़ दी है। आज हालत यह है कि जिले के बड़े-बड़े सटोरिए खौफजदा और बौखलाए हुए हैं।
*सुतूरमुर्ग वाली मानसिकता में जी रहे सटोरिए*
नगर में लोग मज़ाक में कह रहे हैं कि सटोरिए इस समय सुतूरमुर्ग जैसे हैं, जो रेत में सिर छुपाकर सोचता है कि कोई देख नहीं रहा। वास्तव में ये हालात सच को बयान करते हैं। पुलिस की सख़्ती से बचने के लिए ये सटोरिए भले ही कोरबा-रायपुर शिफ्ट हो रहे हो लेकिन इनकी सांसें अभी भी सक्ती पुलिस की कार्रवाइयों से अटकी हुई हैं।
*पुलिस की जीत, सटोरियों की हार*
पिछले कुछ महीनों में पुलिस की लगातार कार्रवाई ने यह साबित कर दिया है कि जिले में अवैध कारोबारियों की कोई जगह नहीं। पुलिस कप्तान और सक्ती पुलिस ने यह संदेश साफ कर दिया है कि चाहे नेटवर्क कितना भी बड़ा क्यों न हो, चाहे वो कोरबा में बैठे हों या रायपुर में, सक्ती पुलिस की नज़र से बचना नामुमकिन है, आज हालत ये है कि सटोरियों के लिए सक्ती पुलिस का नाम ही खौफ बन चुका है। नगर में हर कोई कह रहा है कि सटोरियों की हालत अब खिसियानी बिल्ली जैसी हो गई है, जबकि पुलिस अपनी सख़्ती से जिले को सट्टा-मुक्त बनाने में लगी है।
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