लोकेशन बालोद
संजय कुमार
छत्तीसगढ़ का इतिहास और विशेषताओं पर विश्व हिंदू परिषद द्वारा हुआ विचार-विमर्श
बालोद।
विश्व हिंदू परिषद के जिला सह मंत्री उमेश कुमार सेन ने छत्तीसगढ़ के इतिहास और इसकी विशेषताओं पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि “छत्तीसगढ़” नाम का उद्गम इस क्षेत्र में स्थित छत्तीस (36) गढ़ों (किलों) से हुआ है। यह नाम प्राचीन काल में यहां की ऐतिहासिक संरचनाओं और शासन व्यवस्था का प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र को पहले दक्षिण कोसल के नाम से जाना जाता था, जिसका उल्लेख रामायण और महाभारत जैसे पौराणिक ग्रंथों में मिलता है। 14वीं-15वीं शताब्दी में गोंड राजाओं द्वारा इस क्षेत्र में 36 किलों का निर्माण कराया गया, जिसके कारण इसे "छत्तीसगढ़" कहा जाने लगा।
इतिहासकार गोपाल मिश्र की 1689 की रचना में भी “छत्तीसगढ़” नाम का उल्लेख मिलता है। ब्रिटिश शासन के समय भी यह नाम जनमानस में प्रचलित रहा।
राज्य की विशेषताएँ बताते हुए उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान राज्य है जहाँ लगभग 80 प्रतिशत आबादी कृषि कार्यों पर निर्भर है। चावल के उत्पादन में अग्रणी होने के कारण इसे ‘धान का कटोरा’ भी कहा जाता है।
खनिज संपदा और उद्योगों के क्षेत्र में यह राज्य भारत के कुल इस्पात उत्पादन में लगभग 15% योगदान देता है। 135,192 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ यह भारत का नौवां सबसे बड़ा राज्य है।
उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ समृद्ध आदिवासी संस्कृति और परंपराओं का केंद्र है। इसे भगवान राम की ननिहाल भी माना जाता है, जिससे इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व और भी बढ़ जाता है।
कार्यक्रम में जिला संयोजक प्रदीप मिनपाल, मातृशक्ति उपाध्यक्ष ममता यदु, पुनीता मिश्रा, नगर संयोजक सोनू भारद्वाज, सह संयोजक राजा यादव, अखाड़ा प्रमुख विकास ठाकुर, गौ रक्षा प्रमुख प्रथम सोनी, विद्यार्थी प्रमुख प्रवीण सोनकर, एवं शन्नी ढीमर, तुषार मिनपाल, अंश योगी, बाबू यादव सहित अन्य कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

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