Ticker

6/recent/ticker-posts

Durgkondal: छत्तीसगढ़ के प्रथम त्यौहार हरियाली में दुर्गुकोदल मे भी100 रु से 120 रु मे बिके गेड़ी,

 छत्तीसगढ़ के प्रथम त्यौहार हरियाली में दुर्गुकोदल मे भी100 रु से 120 रु मे बिके गेड़ी,



दुर्गुकोदल। छत्तीसगढ़ के पारंपरिक त्यौहार हरेली के अवसर पर दुर्गुकोंदल मे भी वनविभाग द्वारा गेड़ी बिक्री कि जा रही है। और लोगों के द्वारा गेड़ी खरीदी कर पुजा कर गेड़ी दौड़ खेला जाता है।

छत्तीसगढ़ी संस्कृति का पहला त्योहार हरेली आज सम्पन्न हुआ, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में जिस तरह से छत्तीसगढ़ी त्योहारों को तवज्जो दी गई उसका अब परिणाम दिखने लगा है। पहली बार गेड़ी  बिकने के लिए आई है।‌ दुर्गुकोंदल वन परिक्षेत्र अधिकारी  मुकेश नेताम, श्रीमती अमिता उइके, श्रीमती सविता उयके , श्रीमती श्याम बाई तिवारी ने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मंशा के अनुरूप इस बार हरेली तिहार पर आम-नागरिकों के लिए गेड़ी विक्रय के लिए उपलब्ध कराई गई है। 

हरेली पर गेड़ी चढ़ने की परंपरा

हरेली तिहार के साथ गेड़ी चढ़ने की परंपरा अभिन्न रूप से जुड़ी हुई है। त्योहार के दिन ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग सभी परिवारों द्वारा गेड़ी का निर्माण किया जाता है। परिवार के बच्चे और युवा गेड़ी का जमकर आनंद लेते हैं। गेड़ी चढ़कर ग्रामीण-जन और कृषक-समाज वर्षा ऋतु का स्वागत करता है। वर्षा ऋतु के दौरान गांवों में सभी तरफ कीचड़ होता है, लेकिन गेड़ी चढ़कर कहीं भी आसानी से आया-जाया जा सकता है। 

गेड़ी बांस से बनाई जाती है। दो बांस में बराबरी दूरी पर कील लगाई जाती है। एक और बांस के टुकड़ों को बीच से फाड़कर उसे दो भागों में बांटा जाता है। उसे रस्सी से फिर से जोड़कर दो पउवा बनाया जाता है। यह पउवा असल में पैरदान होता है, जिसे लंबाई में पहले काटे गए दो बांसों में लगाई गई कीलों के ऊपर बांध दिया जाता है। गेड़ी पर चलते समय रच-रच की ध्वनि निकलती है, जो वातावरण को और आनंददायक बना देती है।

Post a Comment

0 Comments