*दुर्गुकोंडल सहित पूरे अंचल में रक्षाबंधन का त्यौहार हर्षोल्लास साथ मनाया गया 31 अगस्त को भी रक्षाबंधन पर्व मनाया जाएगा*
दुर्गुकोंदल: 30 अगस्त 2023 रक्षाबंधन का त्योहार दुर्गुकोंदल अंचल में धूमधाम से मनाया गया। बहनों ने भाइयों के कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर रक्षा का संकल्प दिलाया।
भोर से ही भाई बहनों के घर जाने के लिए निकल पड़े। इस बार रक्षाबंधन का त्योहार बुधवार प्रातः 10:05 बजे तक ही था। लोगों ने बुधवार को 10:05 से रात्रि 8:58 तक भद्रा होने के कारण रक्षाबंधन का पर्व बुधवार और गुरुवार को मनाया। सुबह लोगाें ने स्नान आदि के बाद तैयार होकर बहनों से कलाई पर राखी बंधवाई। राखी बांधने से पहले बहनों ने भाइयों का मुंह मीठा किया और तिलक लगाया। भाइयों ने बहनों की रक्षा का संकल्प लिया। शहर से लेकर देहात तक मिठाई की दुकानें सज गईं थीं। बहनों ने मिठाई और राखी की दुकान पर खरीदारी जमकर की। सुबह बाइक से बहनें भाई के घर गईं। कहीं-कहीं भाइयों ने बहनों के घर जाकर राखी बंधवाया। पूरे दिन रक्षा का पर्व धूमधाम से मनाया गया। बच्चाें में भी रक्षाबंधन का उल्लास देखने को मिला। भाइयों ने बहनों की लंबी उम्र के लिए दुआ मांगी। रक्षाबंधन का त्योहार पुर आँचला में धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान हर जगह चहलपहल रही। भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का त्योहार रक्षाबंधन परंपरागत हर्षोउल्लास से मनाया गया। इस अवसर पर बहनों ने भाइयों की कलाई में रेशम का धागा बांध कर अपना प्यार लुटाया। बुधवार को भाई शुभ मुहूर्त में राखी बंधवाने अपनी बहनों के घर पहुंचे। रक्षा बंधन पर सुबह 7.30 बजे तक रहा। इस कारण भाइयों को अपनी बहनों के घर अहले सुबह राखी बंधवाने जाना पड़ा। जिन भाइयों की बहनों का घर दूर था, वे शुभ मुहूर्त में राखी बंधवाने को एक दिन पहले ही बहन के घर पहुंच गए। सुबह सात बजे तक आसपास क्षेत्र में बहनों ने अपने भाइयों की कलाई पर रेशम का धागा बांध कर उनके दीर्घ जीवन की कामना की। इस अवसर बहनों ने भाई को तिलक लगाकर उनको मिठाई खिलाईं। भाइयों ने बहनों को रक्षा बांधने के बदले उनकी रक्षा का बचन देकर उन्हें उपहार भी दिए। रक्षाबंधन के खास मौके पर शिव मंदिर पर भाई बहनों की भीड़ देखी गई। इस अवसर लोग मंदिर जाकर भगवान शिव का पूजन अर्चन किए। शिवमंदिर मंदिर पर सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। पूरबअंचल में राखी के पवित्र त्योहार को श्रद्धा और प्यार से मनाया गया। रक्षाबंधन पर बहन से राखी बंधवाने के बाद लोगों ने खीर, पूड़ी, मालपूवा आदि परंपरागत पकवानों को छककर खाया।
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