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Balod: कूर्मि समाज ही नहीं सभी समाजों के आदर्श थे दाऊ ढाल सिंह दिल्लीवार

बालोद-सिकोसा

लोकेशन गुंडरदेही 

तारीख

 27/11/23


कूर्मि समाज ही नहीं सभी समाजों के आदर्श थे दाऊ ढाल सिंह दिल्लीवार

,,, गुंडरदेही, बालोद व ग्राम पिरिद में मनाई गई दाऊ ढाल सिंह दिल्लीवार की जयंती

,,, वक्ताओं ने दाऊजी के आदर्शों पर चलने किया आह्वान

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 बालोद। दिल्लीवार कूर्मि क्षत्रीय समाज के पुरोधा दाऊ ढालसिंह दिल्लीवार की जयंती दिल्लीवार समाज के लोगों द्वारा सोमवार को मनाई गई। इस अवसर पर गुंदरदेही में जहां संगोष्ठी का आयोजन किया गया। वहीं बालोद व दाऊ ढाल सिंह दिल्लीवार के जन्म स्थली ग्राम पिरिद में भी आयोजन कर उन्हें याद किया गया। इस अवसर पर वक्ताओं ने दाऊ ढालसिंह दिल्लीवार के आदर्शों को अपनाने का आह्वान किया। दाऊ ढालसिंह दिल्लीवार के विचारों को आज के समय में प्रासंगिक बताया गया। वक्ताओं ने यह भी कहा कि वे न केवल कुर्मी समाज बल्कि अन्य समाजों के भी आदर्श थे। गुंडरदेही के आयोजन में भिलाई से पहुंचे हुए समाज के पदाधिकारी भी मौजूद रहे।

    दिल्लीवार कूर्मि क्षत्रिय समाज भिलाई नगर व दिल्लीवार युवा कूर्मि क्षत्रिय समाज (छ ग) के तत्वावधान में दाऊ ढाल सिंह दिल्लीवार जयंती समारोह गुण्डरदेही में आयोजित किया गया। 

मुख्य अतिथि जिला पंचायत बालोद अध्यक्ष सोनादेवी देशलहरा थी। अध्यक्षता युवा अध्यक्ष दिल्लीवार कूर्मि क्षत्रिय युवक समाज (छग) योगेश्वर देशमुख ने की। दिल्लीवार कूर्मि क्षत्रीय

समाज छत्तीसगढ़ के  उपाध्यक्ष यशवंत दिल्लीवार,  केंद्रीय महिला अध्यक्ष प्रीति देशमुख, भिलाई नगर इकाई अध्यक्ष पवन दिल्लीवार, पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष केके राजू चंद्राकर विशेष अतिथि के रूप में मौजूद रहे। संगोष्ठी को संबोधित करती हुई कार्यक्रम की मुख्य अतिथि सोना देवी देशलहरा ने कहा कि दाऊ ढालसिंह दिल्लीवार के बारे में वह काफी सुनती रहती हैं। उनके विचार सभी समाजों के महापुरुषों के विचार से मिलते जुलते थे। गुरु घासीदास जी के मनखे मनखे एक समान के विचार को भी उन्होंने जन जन तक फैलाया था। दाऊ ढालसिंह दिल्लीवार जी असल में कुर्मी समाज के ही नहीं बल्कि अन्य सभी समाजों के लिए भी आदर्श थे। आज उनके बताए मार्गों पर चलकर ही हम समाज को आगे दिशा दे सकते हैं। 

  इस अवसर पर जंजगिरी सर्किल के पूर्व सचिव ओंकारेश्वर हरमुख, अशोक भारदीय, रौना सर्किल अध्यक्ष दिलीप देशमुख, पूर्णानंद  बेलचंदन, दामेश्वर देशमुख, कुलेश्वर देशमुख, सेवा राम पिपरिया, संदीप बेलचंदन, भूपेंद्र दिल्लीवार, टीकम पिपरिया,तिलक राम देशमुख, तामेश्वर देशमुख, कमलेश देशमुख, हेमन्त देशमुख, वीरेंद्र देशमुख, योगेन्द्र कुमार देशमुख, किशन देशमुख, भूपेंद्र दिल्लीवार, सुरेखा देशमुख, संगीता दिल्लीवार, बबली देशमुख, पूर्णिमा देशमुख, उत्तम देशमुख, तुरेंद्र देशमुख, भिलाई से पहुंचे भूषण देशमुख, दिलीप देशमुख, भुवन देशमुख, गिरीश देशमुख, आशीष देशमुख आदि मौजूद रहे। मंच संचालन मुरली मनोहर देशमुख ने किया।

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रेस्ट हाउस के पास स्थापित प्रतिमा पर किया माल्यार्पण 

कार्यक्रम के शुभारंभ में सबसे पहले समाज के लोगों द्वारा गुंडरदेही में रेस्ट हाउस के सामने स्थापित दाऊ ढालसिंह दिल्लीवार की प्रतिमा स्थल से गुंडरदेही के दाऊ ढालसिंह दिल्लीवार चौक तक रैली के रूप में पदयात्रा की गई। इसके बाद उनकी प्रतिमा पर अतिथियों व समाज के लोगों ने माल्यार्पण किया। प्रतिमा स्थल परी संगोष्ठी का आयोजन किया गया था। इसमें अनेक वक्ताओं ने दाऊ ढालसिंह दिल्लीवार की जीवनी पर प्रकाश डाला। भिलाई से पहुंचे प्रेमलाल पिपरिया ने समाज और राजनीति के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए कार्यों को बताया। पवन दिल्लीवार ने कहा कि दाऊ ढालसिंह दिल्लीवार ने समाज को एक नई दिशा दी है। वे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, जिन्होंने समाज में चेतना जगाई। यशवंत दिल्लीवार ने कहा की दाऊ ढालसिंह दिल्लीवार की जयंती गांव-गांव में मनाने की जरूरत है। हमारी नई पीढ़ी को उनके आदर्शों के बारे में बताना जरूरी है। प्रीती देशमुख ने कहा कि दाऊ ढालसिंह दिल्लीवार के पद चिन्हों पर आज समाज को चलने की आवश्यकता है। केके राजू चंद्राकर ने कहा कि गुंडरदेही में दाऊ ढालसिंह दिल्लीवार की प्रतिमा स्थापना को लेकर समाज ने बहुत अच्छी पहल की।  इस तरह का आयोजन होते रहना चाहिए, जिससे हमारी आने वाली पीढ़ी समाज के पुरुधाओ के बारे में जान सके।

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जानिए कौन है दाऊ ढाल सिंह  दिल्लीवार

 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पूर्व विधायक दुर्ग दाऊ ढाल सिंह दिल्लीवार योगदान आजादी के आंदोलन से लेकर स्वतंत्र भारत के जनहित कार्यों में रहा है। उनका जन्म 27 नवंबर 1897 को ग्राम-पिरीद जिला बालोद छत्तीसगढ में हुआ था।1921 में स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुए थे। 1926 में क्रांतीकारी युवक का नाम दिया गया (मात्र 24 वर्ष की उम्र में)। 1930 में नमक एवं जंगल सत्याग्रह में शामिल हुए,1935 में कांग्रेस सेवा दल की सदस्यता ग्रहण की। 1937 में दुर्ग जिला लोकल बोर्ड के चेयर मेन एवं प्रांतिय कांग्रेस के सदस्य में चयन हुआ। 1939 त्रिपुरी जबलपुर कांग्रेस अधिवेशन में शामिल तथा गांधी जी, सुभाष चंद्र बोस तथा सीता रमैय्या के साथ जेल आंदोलन में शामिल हुए। 1940 सत्याग्रही तैयार करने मंटग (पाटन) क्षेत्र का भ्रमण किया, 12 मई 1941 को गांधी चौक दुर्ग की सभा से बलपूर्वक अंग्रेजो द्वारा गिरफ्तार किया गया। 1941 से 1945 तक नागपुर, दमोह, जबलपुर के जेलों में रहे ।जेल में महान क्रांति दूत संत विनोभा भावे और अब्दुल कलाम आजाद लंबे समय तक एक ही कोठरी मे रहे।1948 में प्रकाशित नवभारत जयपुर कांग्रेस अंक के पृष्ठ 53 में दाऊजी मध्यप्रांत के प्रधान नक्षत्र की संज्ञा दी गई।1955 से 1962 तक दुर्ग जनपद सभा के प्रथम अध्यक्ष।  1961 में अविभाजित दुर्ग जिले (राजनांदगांव, कवर्धा, बेमेतरा, खैरागढ़, बालोद तहसील) के कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चुने गये। 1962 से 1967 तक दुर्ग विधानसभा से विधायक बने।सन् 1967 मे दाऊ जी के सहप्रयासों से विशाल भूखंड पर साइंस कालेज दुर्ग का भवन तैयार हुआ। दाऊ जी की पहल पर पुराना बस स्टैंड स्थित मजार में उर्स के मौके पर अखिल भारतीय स्तर पर कव्वाली आयोजन की शुरूआत हुई जो आज तक बदस्तूर जारी है। 1966 से जीवन पर्यन्त केन्द्रीय दिल्लीवार कूर्मि क्षत्रिय महासभा के अध्यक्ष रहे। 10 अगस्त 1969 को महाप्रयाण हुआ।



रिपोर्टर

विजन टीवी चैनल के लिए संवाददाता रूपचंद जैन बालोद की रिपोर्ट

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