*आँवला वृक्ष की पूजा अर्चना कर अक्षय नवमी मनाया*
दुर्गुकोंदल। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी मनाया जाता है।दुर्गुकोंदल क्षेत्र की महिलाओं ने प्रकृति प्रेमी होने व धार्मिक आस्था का पर्वअक्षय नवमी में आंवला वृक्ष की पूजा अर्चना कर अक्षय नवमी मनाया। कहते है कि इस दिन श्रीहरि भगवान विष्णु और आंवले के वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, आंवले के वृक्ष में स्वयं भगवान विष्णु वास करते हैं। इसलिए अक्षय नवमी पर आंवले के पेड़ की पूजा से शुभ फल की प्राप्ति होती है।अक्षय नवमी का यह पर्व आंवले से संबंधित माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन से द्वापर युग की शुरुआत हुई थी।इसी दिन कृष्ण ने कंस का वध भी किया था और धर्म की स्थापना की थी,आज के ही दिन श्री विष्णु ने कुष्मांडक दैत्य को मारा था। जिसके रोम से कुष्मांड-सीताफल की बेल निकली थी ,इसीलिए इसे कुष्मांडक नवमी भी कहा जाता है।आंवला को अमरता का फल भी कहा जाता है।उक्त मान्यताओं व महत्व को देखते हुए क्षेत्र की महिलाओं नेआंवला नवमी के दिन स्नान करके घर आंगन की गोबर से लिपाई कर आंगन को सुंदर रंगोली से सजाया।संध्याकाल भण्डारडीगी नर्सरी में आंवले वृक्ष की पूजा कर सुख, समृद्धि और आरोग्यता की कामना किये।उपस्थित महिलाओं ने आंवले के वृक्ष के निकट पूर्व की ओर मुख करके जल अर्पित कर, वृक्ष की सात बार परिक्रमा किये और अंत मे कपूर से आरती करने के बाद सभी महिलाओं ने प्रसाद ग्रहण कर उपवास तोड़े।देखा जाए तो यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का भारतीय संस्कृति का पर्व है क्योंकि आंवला पूजन पर्यावरण के महत्व को दर्शाता है और यह पर्व जागरूक करता है।योग शिक्षक संजय वस्त्रकार ने आंवले का औषधीय महत्व के विषय मे जानकारी देते हुए बताया कि हमारे धर्म में हर उस वृक्ष को जिसमें बहुत अधिक औषधीय गुण हों, उनकी किसी विशेष तिथि पर पूजे जाने की परंपरा बनाई गई है। आंवला नवमी की परंपरा भी इसी का हिस्सा है। चिकित्सा विज्ञान के अनुसार, आंवला प्रकृति का दिया हुआ ऐसा तोहफा है, जिससे कई सारी बीमारियों का नाश हो सकता है। आंवला में आयरन और विटामिन सी भरपूर होता है। आंवले का जूस रोजाना पीने से पाचन शक्ति दुरुस्त रहती है। त्वचा में चमक आती है, त्वचा के रोगों में लाभ मिलता है। आंवला खाने से बालों की चमक बढ़ती है। हम आंवले के महत्व को समझें व उसका संरक्षण करें। उपस्थित महिलाओं में नीलम साहू,जोहटरीन गौतम,उत्तरा वस्त्रकार,नमिता राय,पूषा धुर्वे,जया देवांगन,रीता वस्त्रकार, रतना ब्यापारी,सरिता यादव,कलादेवी देवांगन यशश्वी आदि उपस्थित थे।
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