*पूर्व विद्यार्थियों के सम्मान के साथ हायर सेकंडरी स्कुल अमलीपदर ने मनाया स्वर्ण जयंती*
*समारोह में इसी स्कुल से पढ़ाई कर व्यवसायी,कृषक, सेवानिवृत कर्मचारी सहित प्रशासनिक पदों पर कार्यरत पूर्व छात्र हुये शामिल
गरियाबंद ---मैनपुर विकास खण्ड के अमलीपदर हायर सेकंडरी स्कूल में शाला प्रबंधन को एक अनुपम पहल करते देखा गया,बीते 26 फरवरी को हायर सेकंडरी स्कूल ने स्कुल का स्वर्ण जयंती मनाया जिसमें शालेय प्रबंधन ने पूर्व विद्यार्थियों को एक मंच पर एकत्र कर उनके विद्यार्थी जीवन के अनुशासन उस समय के उनके मेहनत और लगन पर अनुभव कथन का मंचीय आयोजन करवाया और उन्हें बेच लगाकर मेडल से सम्मान किया।स्कुल के प्राचार्य वरूण चक्रधारी ने बताया हायर सेकंडरी स्कूल सम्मान समारोह के इस वृहद आयोजन में 1331 पूर्व विद्यार्थीयों भाग लिया वहीं आयोजन पूर्व संसदीय सचिव गोवर्धन मांझी, पूर्व विधायक डमरूधर पुजारी,केनुराम यादव, लोकेन्द्रसिंह कोमर्रा,पुष्पा दुबे, कांतिलाल पाथर, प्रेम राव बाघे, रूदेन्द्र प्रसाद अवस्थी, श्यामलाल पाण्डेय, प्यारेलाल दुबे, मुनेन्द्र जोशी,आर आर सिंह, सम्पत जैन, रोशनलाल अवस्थी, जमील मोहम्मद सहित कई अतिथि मौजूद थे।
*स्कुल के सैकड़ों पास आऊट छात्र कई पदों पर कार्यरत*
01ं नवम्बर 1971 को स्थापित हायर सेकंडरी स्कूल अमलीपदर ने बीते 50 वर्षों में आईएएस आईपीएस से लेकर शिक्षक सहित अन्य छोटे-बड़े कर्मचारी दिये वहीं यहां से पास होकर निकले कई छात्रों में कोई प्रतिष्ठित व्यवसायी बना तो वहीं किसी ने अन्नदाता बनकर क्षेत्र में ख्याति अर्जित की है। यहां से पास आउट होने वाले छात्र ना केवल गृह प्रदेश छग बल्कि मप्र और सीमावर्ती ओडिशा प्रांत में नौकरी पेशा कर रहे हैं।इन सबका एक साथ एक मंच पर सम्पर्क हो आपस में पहचान बढ़े यही विचार कर शालेय प्रबंधन ने स्वर्ण जयंती समारोह का आयोजन कर सबको निमंत्रण भेज बुलाया था।
*अमलीपदर स्कुल के इतिहास के पचास वर्ष*
जुलाई 1971 को उस समय के सरपंच त्रिलोक सिंह ठाकुर ने बैठक कर नवीन हाईस्कुल के स्थापना की पहल की और उस समय जनभागीदारी से पं रविशंकर शुक्ल हाई स्कुल संचालित की गयी।1975 में जन सहयोग से शाला भवन का निर्माण हुआ फिर 1979 में इंफ्रास्ट्रक्चर का डेवलपमेंट हुआ।वही अमलीपदर के रामचंद्र राव बाघे, सुंदरलाल अवस्थी,फूलचंद सेठिया, गिरधारी लाल अवस्थी और कर्नल जैन की पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल भोपाल पहुंच कर शासकीय हाईस्कूल का आदेश करवाया था।गांव वाले रूके नहीं समस्याओं पर मांग करते रहे और छग बनने के बाद प्रथम मुख्यमंत्री अजित जोगी से नवीन भवन मांग लाये। परीक्षा दिलाने गरियाबंद जाना पड़ता था गांव वालो के प्रयास से केन्द्र अमलीपदर हुआ।
*पांच दानदाताओ ने स्कुल भवन के दिये अपनी कृषि जमीन*
पहले हाईस्कूल भवन के लिये फिर कम पड़ा तो खेल मैदान के लिये अमलीपदर के पांच दानदाताओ ने अपनी कृषि भूमि दान कर दी। जहां भवन के लिये विराज सिंह ध्रुवा परिवार,फूलचंद सेठिया और टीकमचंद जैन,मकरन मरकाम ने करीबन 10 एकड तो वहीं खेल मैदान के लिये छोटेलाल अवस्थी ने 4 एकड जमीन दान कर स्कुल के निर्माण से लेकर विकास में हाथ बंटाया।शालेय प्रबंधन ने स्कुल के स्वर्ण जयंती के अवसर पर दानदाताओ को याद करते हुये उनके परिवार को सम्मान किया है।
*स्वर्ण जयंती में इन पूर्व विद्यार्थियों का भी हुआ सम्मान*
स्वर्ण जयंती के अवसर पर पूर्व छात्रों के सम्मान समारोह में बोधन नायक,गौतम पात्र, कुंजबिहारी साहू, भुपेंद्र तिवारी,आलोक राव बाघे,संदीप साहु,उमेश श्रीवास सहित छात्र रहे दस वर्तमान प्राचार्य, शिक्षक , अधिकारी उपस्थित थे।वही कार्यक्रम के सफल आयोजन में कमल किशोर ताम्रकार, जयप्रकाश नागेश, प्रेम सिंह चक्रधारी,अनिल अवस्थी, अयोध्या राम टाण्डिया, धनसिंग मरकाम,अजय सिन्हा, मुकेश सिन्हा सहित सभी समन्वयको और शिक्षकों ने सहयोग किया।
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