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Balod: लोकतंत्र का काला अध्याय आपातकाल के 50 वर्ष पूर्ण होने एवं कांग्रेस के लोकतंत्र पर कुठाराघात के 50 वर्ष।*

लोकेशन बालोद 

संजय कुमार 


*लोकतंत्र का काला अध्याय आपातकाल के 50 वर्ष पूर्ण होने एवं कांग्रेस के लोकतंत्र पर कुठाराघात  के 50 वर्ष।*


*प्रेस कॉन्फ्रेंस लेने पहुंचे अध्यक्ष अक्षय ऊर्जा विकास अधिकरण (क्रेडा) प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष श्री भूपेंद्र सवन्नी जी।*


*इंदिरा गांधी ने आंतरिक अशांति की आड़ लेकर अनुच्छेद 352 का दुरुपयोग किया।*

 

*संविधान की आत्मा को कुचलते हुए उन्होंने लोकतंत्र को एक झटके में तानाशाही में बदल दिया और पूरी व्यवस्था को ही कठपुतली बनाकर रखने का षड्यंत्र रच दिया।*

 

*कार्यपालिका विधायिका और न्यायपालिका सहित लोकतंत्र के तीनों स्तंभों को बंधन बनाकर सत्ता के आगे घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया।*

 

*प्रेस की स्वतंत्रता पर ऐसा हमला हुआ कि बड़े-बड़े अखबारों की बिजली काट दी गई और पत्रकारों को जेल में डाल दिया गया ।*


*आपातकाल के दौरान एक ही परिवार को संविधान से ऊपर रखने वाली कांग्रेस आज भी राहुल प्रियंका के इर्द-गिर्द सिमटी हुई है, तंत्र आज भी परिवार के चरणों में समर्पित है।*

बालोद, मंगलवार 



श्री भूपेन सवर्णी जी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि 25 जून 1975 की आधी रात को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आंतरिक अशांति का बहाना बनाकर भारत पर आपातकाल ठोक दिया यह निर्णय किसी युद्ध या विद्रोह के कारण नहीं बल्कि अपने चुनाव को रद्द किए जाने और सत्ता बचाने की हताशा में लिया गया था कांग्रेस पार्टी ने इस काले अध्याय में न केवल लोकतांत्रिक संस्थाओं को रौंदा बल्कि प्रेस की स्वतंत्रता न्यायपालिका की निष्पक्षता और नागरिक के मौलिक अधिकारों को कुचलकर या स्पष्ट कर दिया कि जब-जब उनकी सट्टा संकट में होती है वे संविधान और देश की आत्मा को तक में रखने से पीछे नहीं हटती आज 50 वर्ष बाद भी कांग्रेस इस मानसिकता के साथ चल रही है आज भी सिर्फ तरीकों का बदलाव हुआ है नियत आज भी वैसी ही तानाशाही वाली है 

मार्च 1971 में लोकसभा चुनाव में भारी बहुमत से जीतने के बावजूद इंदिरा गांधी की वैधानिकता को चुनौती मिली उनके विपक्षी उम्मीदवार राज नारायण ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनाव को भ्रष्ट आचरण और सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग के आधार पर चुनौती दी देश की अर्थव्यवस्था मंदी के दौर से गुजर रही थी जिससे जनता में असंतोष बढ़ता जा रहा था देश पहले से ही आर्थिक बदहाली महंगाई और खाद्यान्न संकट से जूझ रहा था बिहार और गुजरात में छात्रों के नेतृत्व में नवनिर्माण आंदोलन खड़ा हो चुका था। 8 में 1974 को जॉर्ज फर्नांडिस के नेतृत्व में ऐतिहासिक रेल हड़ताल ने पूरे देश को जगा लिया इस आंदोलन को रोकने के लिए 1974 में गुजरात में इंदिरा गांधी ने राष्ट्रपति शासन लगा दिया यही राष्ट्रपति शासन 1975 में लगने वाले आपातकाल की एक शुरुआत था इसके साथ ही बिहार में कांग्रेस सरकार के खिलाफ असंतोष बढ़ने लगा और 1975 में हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा।

12 जून 1975 को कोर्ट ने इंदिरा गांधी को चुनाव में दोषी ठहराया और उन्हें 6 वर्षों तक किसी भी निर्वाचन पद पर रहने से अयोग्य करार दिया इसके बाद राजनीतिक स्थिरता तेजी से बड़ी जिससे घबराकर इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को आंतरिक अशांति का हवाला देकर राष्ट्रपति से आपातकाल लगा दिया रातों-रात प्रेस की बिजली काटी गई नेताओं को बंदी बनाया गया और 25 जून की सुबह देश की तानाशाही की सूचना रेडियो के माध्यम से दी गई। 

संविधान के अनुच्छेद 352 का दुरुपयोग कर लोकतंत्र को रौंदा गया सांसद और न्यायपालिका को अपंग बना दिया गया यह सिलसिला किसी युद्ध या बाहरी हमले से नहीं बल्कि एक व्यक्ति के कुर्सी कोन होने के भाई से शुरुआत और पूरे राष्ट्र को मौलिक अधिकारों से वंचित कर दिया गया। 

1975 आपातकाल की घोषणा कोई राष्ट्रीय संकट का नतीजा नहीं बल्कि एक गरीबी प्रधानमंत्री की सत्ता बचाने की राजनीति थी जिसे न्यायपालिका से मिली चुनौती से बौखलाकर थोपा गया। 

इंदिरा गांधी ने आंतरिक अशांति की जो देकर अनुच्छेद 352 का दुरुपयोग किया अपनी कुर्सी को बचाने की जीत थी। 

संविधान की आत्मा को कुचलते हुए उन्होंने लोकतंत्र को एक झटके में तानाशाही में बदल दिया और पूरी व्यवस्था को ही कठपुतली बनाकर रखने का षड्यंत्र रच दिया। 

कार्यपालिका विधायक और न्यायपालिका सहित लोकतंत्र के तीनों स्तंभों को बंधक बनाकर सत्ता के आगे घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया प्रेस की स्वतंत्रता पर ऐसा हमला हुआ कि बड़े-बड़े अखबारों की बिजली का काट दी गई सेंसरशिप लगा दी गई और पत्रकारों को जेल में डाल दिया गया। 

कांग्रेस शशि राज्य में कानून व्यवस्था का हाल यह है कि वहां विरोध का दमन धार्मिक तुष्टिकरण और सत्ता का अहंकार खुलेआम दिखता है।

इंदिरा इज इंदिरा एण्ड इंदिरा इज इंदिरा जैसे नारे कांग्रेस की उसे मानसिकता को दर्शाते थे जिसके तहत इंदिरा गांधी ने देश को व्यक्ति पूजा और परिवारवाद की प्रयोगशाला बना दिया था। 

आपातकाल के दौरान एक परिवार को संविधान से ऊपर रखने वाली कांग्रेस आज भी राहुल प्रियंका के इर्द-गिर्द सिम टीवी है,तंत्र आज भी परिवार के चरणों में समर्पित है।

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रमुख रूप से उपस्थित रहे, माननीय सांसद श्री भोजराज नाग,जिला भाजपा अध्यक्ष चेमन देशमुख, वरिष्ठ नेता यशवंत जैन, निर्वितमान जिला अध्यक्ष पवन साहू , पूर्व जिला अध्यक्ष कृष्णकांत पवार , वरिष्ठ नेता प्रीतम साहू ,वरिष्ठ नेता यज्ञदत्त शर्मा , प्रदेश कार्य समिति सदस्य श्री अभिषेक शुक्ला ,जिला महामंत्री राकेश छोटू यादव ,नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती प्रतिभा चौधरी  , जिला मीडिया प्रभारी कमल पनपालिया, सोशल मीडिया जिला संयोजक संदीप सिन्हा।

कमल पनपालिया 

मिडिया प्रभारी 

भारतीय जनता पार्टी जिला बालोद

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