लोकेशन बालोद
संजय कुमार
प्रकृति संरक्षण का सशक्त संदेश देती एक प्रेरणादायक कविता
"अपने बच्चों जैसा इस पेड़ से प्यार जताना होगा"
✍️ घनश्याम सिंह कौमार्य, लाटाबोड़ द्वारा रचित विशेष कविता
लाटाबोड़, छत्तीसगढ़, 17 जुलाई 2025:
पर्यावरण संरक्षण एवं वृक्षारोपण को समर्पित एक अत्यंत भावुक और जागरूकता से भरपूर कविता ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। यह कविता "अपने बच्चों जैसा इस पेड़ से प्यार जताना होगा" के शीर्षक से लाटाबोड़ निवासी श्री घनश्याम सिंह कौमार्य द्वारा रचित है, जो प्रकृति प्रेम, वृक्षों के प्रति मानवीय कर्तव्य और पर्यावरणीय चेतना को शब्दों में पिरोती है।
कविता में पेड़ों के उपकार — जैसे प्राणवायु, फल, फूल, औषधियाँ, छाया और खुशहाली — का मार्मिक चित्रण करते हुए लोगों को इन्हें अपने बच्चों जैसा प्रेम देने का आह्वान किया गया है। खास बात यह है कि कवि ने "नौजवान बुजुर्गों को अपनी मां के नाम पेड़ लगाना होगा" जैसे पंक्तियों के माध्यम से वृक्षारोपण को एक भावनात्मक जिम्मेदारी बना दिया है।
कविता का उद्देश्य केवल साहित्यिक आनंद देना नहीं, बल्कि समाज में हर वर्ग — बच्चे, युवा और बुजुर्ग — को वृक्ष संरक्षण के लिए प्रेरित करना है। यह रचना वृक्षों को ‘प्राकृतिक वरदान’ मानकर उन्हें बचाने की पुकार करती है।
इस कविता को विभिन्न सामाजिक मंचों, स्कूलों, पर्यावरणीय कार्यक्रमों तथा वृक्षारोपण अभियानों में पढ़ा और सराहा जा रहा है। समाजसेवियों एवं शिक्षकों ने भी इसे पर्यावरण शिक्षा के लिए प्रभावी बताया है।
लेखक परिचय:
श्री घनश्याम सिंह कौमार्य लाटाबोड़ निवासी एक संवेदनशील कवि हैं जो सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय विषयों पर अपनी लेखनी के माध्यम से जनजागरण का कार्य कर रहे हैं।
अपने बच्चों जैसा इस पेड़ से प्यार जताना होगा,
इनका हम पर उपकार बहुत है हमे इन्हें बचाना होगा पंछी गायेंगें इन वृक्षों पत्तो पर
रहने को अपना घर बनायेगें
घर आंगन की होगी खुशहाली
धरा को स्वर्ग सा सजायेंगे
सुन्दर बनाना है प्रकृति को प्रदूशन भगाना होगा
अपने बच्चों जैसा इस पेड़ से प्यार जताना होगा,
इनका हम पर उपकार बहुत है हमे इन्हें बचाना होगा
औषधियां मिलती है हम सबको
अपना स्वास्थ बचाने को
हर पल देती प्राण वायु
ये जीवन आगे बढ़ाने को
नौजवान बुजुर्गों को अपनी मां के नाम पेड़ लगाना होगा
अपने बच्चों जैसा इस पेड़ से प्यार जताना होगा,
इनका हम पर उपकार बहुत है हमे इन्हें बचाना होगा
फल फूल सब्जी देकर
किया हम पर वरदान है
रखना है हरी भरी धरती को
ये इनका सम्मान है।
पेड़ लगाकर हमको इसके जीवन को सम्भालना होगा
अपने बच्चों जैसा इस पेड़ से प्यार जताना होगा
इनका हम पर उपकार बहुत है हमे इन्हें बचाना है
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