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Balod: जानवरों के स्वास्थ्य और मानव सुरक्षा दोनों के लिए जरूरी — नसबंदी व एंटी-रेबीज टीकाकरण अभियान की माँग तेज़

लोकेशन बालोद 

संजय कुमार 

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जानवरों के स्वास्थ्य और मानव सुरक्षा दोनों के लिए जरूरी — नसबंदी व एंटी-रेबीज टीकाकरण अभियान की माँग तेज़


छत्तीसगढ़ में पशु प्रेमियों, सामाजिक संगठनों और पशु चिकित्सा विभाग ने मिलकर एक विशेष अपील की है — "जानवरों की सुरक्षा, मानव की रक्षा", इस उद्देश्य को लेकर राज्यभर में आवारा कुत्तों और बिल्लियों के लिए नसबंदी और एंटी-रेबीज टीकाकरण अभियान चलाने की ज़ोरदार माँग की गई है।



जानवरों की बढ़ती संख्या के कारण जहाँ एक ओर सड़क दुर्घटनाएं और रेबिज जैसी घातक बीमारी का खतरा बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर ये निरीह जानवर स्वयं भी असुरक्षित और बीमार हो रहे हैं। भूख, गर्मी, सड़क हादसे और बीमारियाँ आज आवारा जानवरों की सबसे बड़ी दुश्मन बन चुकी हैं।


🐾 पशुओं की भी है जीने का अधिकार


पशु कल्याण से जुड़े संगठनों का कहना है कि ये जानवर कोई अपराधी नहीं हैं, बल्कि हमारी व्यवस्था की लापरवाही के कारण आज ये न घर के रहे, न जंगल के। नसबंदी कर इनकी अनियंत्रित संख्या को रोका जा सकता है, जिससे ना केवल मानव समाज सुरक्षित रहेगा, बल्कि ये जानवर भी बेहतर जीवन जी पाएंगे।


💉 रेबिज से सुरक्षा के लिए टीकाकरण है जरूरी


रेबीज एक जानलेवा बीमारी है, जो जानवरों की लार के ज़रिए फैलती है। यदि समय पर एंटी-रेबीज वैक्सीन दी जाए, तो ना केवल इंसानों को सुरक्षित किया जा सकता है, बल्कि जानवरों को भी बीमारी से बचाया जा सकता है।


🌍 जानवरों के लिए भी हो "स्वास्थ्य अधिकार"


पशु चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि जैसे मनुष्यों को स्वास्थ्य सेवाएं मिलती हैं, वैसे ही जानवरों को भी नियमित जांच, इलाज और टीकाकरण की सुविधा मिलनी चाहिए। नसबंदी से अनचाहे प्रजनन पर नियंत्रण होगा और बीमारियों की रोकथाम भी संभव होगी।


✍️ सामाजिक अपील


जनहित में सभी पशु-प्रेमियों, नागरिकों और संगठनों से अपील की जाती है कि वे इस अभियान में जुड़ें और सरकार से माँग करें कि—


प्रत्येक जिले में नसबंदी एवं एंटी-रेबीज अभियान चलाया जाए।


स्थानीय निकायों को इसके लिए प्रशिक्षण, बजट और दवाइयाँ दी जाएं।


पशुओं के हित में संवेदनशीलता और करुणा से काम किया जाए।



"अगर हम चाहते हैं कि हमें कोई काटे नहीं — तो हमें पहले उसे भूखा और बीमार रहने से रोकना होगा।"

— एक पशु चिकित्सक की भावनात्मक टिप्पणी।


छत्तीसगढ़ में यदि यह अभियान सफल होता है, तो यह जानवरों के कल्याण और मानव सुरक्षा — दोनों की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम होगा।

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