* शिक्षा के मंदिर में 'सोमरस' की गंगा, प्रधानपाठक जी हुए 'टल्ली': खैरागढ़ में ज्ञान का 'घूँट' और बच्चों का भविष्य अधर में'!
**00 बीईओ ने की कार्रवाई, डीईओ बोले– मुझे जानकारी नहीं दी गई**
संवाददाता - मंदीप सिंह चौरे
स्थान - खैरागढ़
खैरागढ़: छत्तीसगढ़ का खैरागढ़, जो अपनी कला और संगीत के लिए जाना जाता है, अब एक नए 'स्वर' में चर्चा का विषय बन गया है। इस बार सुर लगे हैं शिक्षा के मंदिर में, वो भी 'सोमरस' के। जी हाँ, शिक्षा व्यवस्था को शर्मसार करने वाली एक घटना सामने आई है, जहाँ ग्राम देवरी के शासकीय प्राथमिक शाला के प्रभारी प्रधानपाठक रेशमलाल बेरवंशी महोदय को विद्यालय समय के दौरान ही 'नशे की धुन' में धुत्त पाया गया। लगता है, बच्चों को वर्णमाला सिखाते-सिखाते, प्रधानपाठक जी खुद 'वर्नियर कैलिपर' से बोतल का नाप लेने में व्यस्त थे!
### **प्रधानपाठक जी का 'शैक्षणिक' प्रदर्शन और 112 का 'आपातकालीन' आगमन**
लगातार मिल रही शिकायतों के बाद, मंगलवार को यह 'पवित्र' मामला प्रकाश में आया। ग्राम सरपंच तेजराम वर्मा, जो शायद गाँव के बच्चों के भविष्य को लेकर कुछ ज्यादा ही 'चिंतित' थे, उन्होंने विकासखंड शिक्षा अधिकारी (BEO) नीलम राजपूत और सीधे 'डायल 112' को सूचना दे डाली। अब जब सीधे 112 बुलाई गई है, तो समझा जा सकता है कि प्रधानपाठक जी का 'ज्ञान का स्तर' कितना 'ऊँचा' उठ चुका था!
बीईओ महोदया के निर्देश पर एक 'विशेष निरीक्षण दल' ने 112 टीम के सहयोग से प्रधानपाठक जी को स्कूल से हिरासत में लिया। जाहिर है, अब शिक्षा विभाग 'वैज्ञानिक' तरीके से यह पता लगाएगा कि गुरुजी नशे में थे या किसी 'आध्यात्मिक यात्रा' पर निकले थे। देर शाम सिविल अस्पताल में मेडिकल परीक्षण कराया जाएगा, जिससे यह 'स्पष्ट' हो सके कि शिक्षक 'नशे' में थे या केवल 'अत्यधिक प्रसन्नता' में!
### **बीईओ की 'चुप्पी' और डीईओ की 'अनभिज्ञता': शिक्षा विभाग में 'सब ठीक है' का भ्रम**
जब बीईओ नीलम राजपूत जी से इस 'संवेदनशील' मामले पर प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने बड़े 'गहराई' से कहा कि वे 'संवैधानिक स्थिति' के कारण सार्वजनिक रूप से कुछ नहीं कह सकतीं। लगता है, उनकी 'संवैधानिक स्थिति' में 'पारदर्शिता' और 'जवाबदेही' शामिल नहीं है।
और तो और, इस पूरे 'शिक्षा क्रांति' के घटनाक्रम की सबसे 'हैरान' करने वाली बात यह रही कि जिला शिक्षा अधिकारी लालजी द्विवेदी महोदय को पूरे दिन चले इस 'ज्ञान-विज्ञान' की गाथा की कोई जानकारी ही नहीं दी गई। उन्होंने बड़े भोलेपन से कहा, "मामले की जानकारी मंगवाई जा रही है। जांच कर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।" लगता है डीईओ साहब अभी भी 'नियमों की किताब' में 'सोमरस' वाला अध्याय ढूंढ रहे हैं।
### **ग्रामीणों का 'नशे' में रोष, बच्चों का 'भविष्य' अधर में**
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि जहाँ एक ओर सरकार 'शिक्षण गुणवत्ता' को सुधारने में 'करोड़ों' खर्च कर रही है, वहीं ऐसे 'शिक्षक' स्कूल को 'नशे का अड्डा' बना रहे हैं। ग्रामीणों ने मांग की है कि ऐसे 'अनुशासनहीन' शिक्षक पर 'सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई' की जाए, ताकि शिक्षा व्यवस्था की 'गरिमा' बनी रहे। उनकी मांग जायज है, आखिर कब तक बच्चों को 'अल्कोहल' का पाठ पढ़ाया जाएगा?
यह मामला न केवल एक शिक्षक की 'खुल्लम-खुल्ला लापरवाही' का है, बल्कि यह 'प्रशासनिक समन्वय' की 'कमी' और 'जिम्मेदारी' की 'सतही समझ' को भी उजागर करता है। सवाल यह है कि क्या केवल 'निलंबन' पर्याप्त होगा, या फिर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले इस 'शराबी गुरुजी' को एक 'दृढ़ अनुशासनात्मक उदाहरण' बनाकर पेश किया जाएगा, जिससे भविष्य में कोई और 'ज्ञान का पुजारी' 'सोमरस' में न डूबे? या फिर यह भी बस 'जांच' और 'जांच' में ही सिमट कर रह जाएगा?
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