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Balod: मानवता की मिसाल: बालोद में शिक्षकों ने थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के लिए किया रक्तदान, बना हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक

लोकेशन बालोद 

संजय कुमार 


मानवता की मिसाल: बालोद में शिक्षकों ने थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के लिए किया रक्तदान, बना हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक



बालोद, 6 सितंबर 2025 – छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में आज एक ऐसा दृश्य देखने को मिला जिसने यह सिद्ध कर दिया कि जब बात मानवता की होती है, तब धर्म और जाति की दीवारें मायने नहीं रखतीं।

शासकीय आदर्श कन्या उच्चतर माध्यमिक शाला, बालोद के दो शिक्षक – गणित व्याख्याता मोहम्मद अशरफ तिगाला और व्यायाम शिक्षक सूर्यकांत सिन्हा – ने मिलकर एक ऐसे कार्य में भाग लिया, जो न केवल ज़रूरतमंद बच्चों की मदद का जरिया बना, बल्कि समाज में भाईचारे और एकता का संदेश भी फैलाया।


दोनों शिक्षकों ने ऑल इंडिया मुस्लिम वेलफेयर फाउंडेशन द्वारा आयोजित रक्तदान शिविर में हिस्सा लिया, जिसका उद्देश्य थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों के लिए आवश्यक रक्त एकत्रित करना था। शिविर में दोनों ने न केवल स्वयं रक्तदान किया, बल्कि अपने आपसी सहयोग और प्रेम से सांप्रदायिक सौहार्द की एक मजबूत मिसाल पेश की।


मोहम्मद अशरफ तिगाला ने रक्तदान के बाद कहा,


> "रक्तदान से बड़ा कोई दान नहीं। जब हम साथ आकर किसी की जिंदगी बचा सकते हैं, तो हमारे बीच की दीवारें अपने आप गिर जाती हैं।"


वहीं सूर्यकांत सिन्हा ने कहा,


> "हमारा उद्देश्य बच्चों की मदद करना है। यह शिविर दिखाता है कि सेवा और प्रेम की भाषा हर धर्म को जोड़ सकती है।"


शिविर में कई अन्य स्थानीय लोग भी शामिल हुए, लेकिन इन दोनों शिक्षकों की एकजुटता और सेवा भावना ने विशेष ध्यान खींचा। फाउंडेशन के एक सदस्य ने बताया कि थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को नियमित रक्त की आवश्यकता होती है और ऐसे शिविर उनके जीवन के लिए अत्यंत जरूरी हैं।


स्थानीय निवासियों ने इस पहल की जमकर सराहना की और इसे "धर्मनिरपेक्ष मानवता की जीवंत मिसाल" बताया। एक स्थानीय अभिभावक ने कहा,


> "ऐसे शिक्षक ही हमारे बच्चों को सही मायनों में इंसानियत और एकता का पाठ पढ़ा सकते हैं।"




यह आयोजन सिर्फ रक्तदान तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह एक सामाजिक संदेश बन गया – जब दिल साथ हों, तो धर्म अलग होने से फर्क नहीं पड़ता।



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📌 संक्षेप में:


स्थान: बालोद, छत्तीसगढ़


आयोजन: रक्तदान शिविर (थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के लिए)


आयोजक: ऑल इंडिया मुस्लिम वेलफेयर फाउंडेशन


प्रमुख सहभागी: मोहम्मद अशरफ तिगाला (गणित शिक्षक), सूर्यकांत सिन्हा (व्यायाम शिक्षक)


मुख्य संदेश: धर्म नहीं, मानवता सबसे ऊपर

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