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Gariyaband: हाई प्रोफाइल झाखरपारा उपार्जन केन्द्र में क्या खरीदी प्रभारी अकेले ही दोषी या परदे के पिछे कोई और?*

 *हाई प्रोफाइल झाखरपारा उपार्जन केन्द्र में क्या खरीदी प्रभारी अकेले ही दोषी या परदे के पिछे कोई और?*


रिपोर्टर --जयविलास ‌शर्मा


*जनता के मन में अभी भी सवाल पर्दे के पीछे कोई तो हैं जो करा गया लाखों का हेराफेरी



गरियाबंद --धान खरीदी को लेकर एक से अधिक बार कभी समिति सहित प्रभारी और स्टाप सलाखों के पिछे पहुंचे तो अभी छग के सबसे बड़ी 32 लाख से अधिक के हेराफेरी के मामले में अकेले खरीदी प्रभारी चंदनसिंह राजपुत ही दोषी पाया गया भारी-भरकम घोटाले में  केवल प्रभारी ही सलाखों में गया क्या ऐसा ही हुआ है? ये सवाल अभी सबके जुबान पर है छग सरकार के महत्वपूर्ण योजना समर्थन मूल्य पर धान खरीदी में एक बार नहीं बार बार हुये घोटालों में कहीं ना कहीं किसानों को पट्टे की गिरवी जैसे धोखेबाजी का सामना हर सीजन पर करना पड़ा है तो वहीं झाखरपारा उपार्जन केन्द्र में बडे से बडे घोटाले में सरकार को भी लाखों का चुना लग रहा है । लोगों के मन में सवाल है इतने बड़े घोटाले का खिलाड़ी कोई और तो नही है?


*प्रभारी ने 300 क्विंटल की भरपाई कर दी वो कहीं अपने हिस्से का तो नहीं?*


धान खरीदी वर्ष 2024-25 में 32.95 लाख भारी भरकम राशि का घोटाला हुआ खरीदी सीजन में 1363.20 क्विंटल धान के साटेज हुआ था साटेज के पता चलने बाद लगभग एक महिने भर तक तुम भर मैं भरूं का ड्रामा चला फिर आफत का फांस गले पर अटकने लगा तो खरीदी केन्द्र प्रभारी चंदन सिंह राजपूत ने 300 क्विंटल धान की भरपाई कर दी भरपाई को शेष रह गया 10 63.20 क्विंटल साटेज का यहां पर सवाल खड़ा होता है ये किसके पाले का है फिर एक सवाल खड़ा हो रहा प्रभारी द्वारा भरपाई किये गये 300 क्विंटल धान कहीं उसके हिस्से का तो नहीं?


*तीन बार भौतिक सत्यापन के बाद सत्यापन कर्ताओं को भारी भरकम घोटाले की भनक कैसे नहीं लगी?*


 सुर्खियों में रहा झाखरपारा उपार्जन केन्द्र के साख पर कालिख पोतने वाले घोटाले का आखिर मास्टरमाइंड कौन?लोगो के ज़ेहन में ये सवाल भी खड़ा हो रहा है सिम्पल और ज्यादा तामझाम ना रखने वाला खरीदी प्रभारी अकेले इस घोटाले को अंजाम   दे सकता है ये जनता और जनप्रतिनिधि के गले नहीं उतर रहा है।कहीं चंदन सिंह राजपूत को इस बहुचर्चित घोटाले में बली का बकरा तो नहीं बनाया गया है।दूसरी बात  खरीदी से उठाव के बीच तत्कालीन खरीदी नोडल अधिकारी सिदार जो पीएचई विभाग के अधिकारी ने तीन बार भौतिक सत्यापन किया तब क्यों मामला उजागर नहीं हुआ खरीदी में लगे नोडल से लेकर उड़नदस्ता के जिम्मेदार लोगों पर भी सवालिया निशान लग रहा है।


*वर्ष 2014-15 की पुनरावृत्ति हो गयी आखिर जिम्मेदारों को पुराने घोटाले का ध्यान क्यों नहीं आया?*


ये वही झाखरपारा खरीदी केंद्र है जहां उपार्जन वर्ष 2014-15 में बड़े घोटाले का खुलासा हुआ था 4 करोड से अधिक के इस घोटाले में तब समिति के अध्यक्ष,खरीदी प्रभारी,प्रबंधक से लेकर आपरेटर लिपीक और अन्य सहायक कर्मी को जेल जाना पड़ा था तब भी  जब घोटाले में पहले भी झाखरपारा समिति सुर्खियों में रहा उस समय हुये घोटाले का त्रासदी खरीदी को अब तक भुगतना पड़ रहा है समिति को मिलने वाला कमीशन काटकर अब तक उसकी भरपाई की जा रही है जिसके चलते वहां के कर्मचारीयो को पिछले 3-4 वर्षों  से वेतन नहीं मिल पा रहा है ,आखिर ये बात खरीदी सम्पन्न कराने वाले जिम्मेदारों को याद क्यों नहीं आया या ऐसे घोटालों की पुनरावृत्ति ना हो इस पर चिंता क्यों नहीं की गयी?इस पर भी जनता और जनप्रतिनिधि सवालिया निशान लगा रहे हैं।


*किसानों से एक से दो किलो अतिरिक्त तौलाई के बाद भी 1495 क्विंटल की सुखत कैसे हुयी?*


खरीदी के दौरान किसानों से सुखत के नाम एक से दो किलो एक्स्ट्रा उपार्जन की तौलाई हुयी समय समय पर किसानों ने इसका विरोध भी किया था पर बाद में सहमति भी बन गयी। खरीदी केन्द्रों में सुखत के नाम किसानों से एक्स्ट्रा धान तौल हुआ फिर भी भारी भरकम सुखत कैसे आया? झाखरपारा खरीदी  केंद्र में सार्टेज 2408.56 क्विंटल में सुखत के 1495 क्विंटल उपार्जन कम करने के बाद भी 1036.20 क्विंटल साटेज हो गया कहीं सुखत के नाम घटायें गये उपार्जन भी घोटाले का हिस्सा तो नहीं ? ये सवालिया निशान भी उपार्जन केन्द्र पर लग रहे हैं।



*निगरानी को शासन के द्वारा नियुक्त प्राधिकृत अधिकारी को डर, दे सकते हैं इस्तीफा*


साटेज के तु भर मैं भरूं के ड्रामे का अंत तभी हुआ जब प्राधिकृत अधिकारी पदुलोचन जगत ने बाकायदा इस पर एफआईआर कराया। घोटाले की पुनरावृत्ति हुयी तो खरीदी पर नजर रखने शासन द्वारा नियुक्त प्राधिकृत अधिकारी पदुलोचन जगत के मन में भी अब डर घर कर गया है कहीं ऐसा और ना हो और कहीं उनपर घोटाले का दाग़ ना लग जाये इसलिये वो इस्तिफे का मन भी बना रहें हैं वहीं अब तक कट रहे कमीशन के चलते लम्बे समय तक कमीशन ना मिलने से कर्मचारी भी काम छोड़ रहे हैं अब एक भृत्य और आपरेटर के अलावा कोई नहीं हैं किसानों को डर है लगातार ऐसे मामलों में सुर्खियों में होने के कारण कहीं पंजीयन रद्द ना हो जायें।

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