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Durgkondal: कलश यात्रा के साथ शुरू हुआ तीन दिवसीय मानस सम्मेलन, गूंजे श्री राम के जयकारे

 कलश यात्रा के साथ शुरू हुआ तीन दिवसीय मानस सम्मेलन, गूंजे श्री राम के जयकारे



दुर्गूकोंदल | विकासखंड दुर्गूकोंदल के ग्राम लोहत्तर में जय शीतला जन जागृति सेवा समिति लोहत्तर के तत्वाधान में राज्य स्तरीय त्रिदिवसीय संगीतमय मानस गान सम्मेलन की शुरुआत हुआ| जिसमें अतिथि के रूप में जनपद सभापतिविकास राजु नायक, सरपंच बसंती भालेश्वर गायता पुरूषोतम देहारी, पटेल मेहतर राम दीवान, सरपंच परभेली कन्हैया पात्र, थाना प्रभारी लक्ष्मीनारायण नामदेव, सुरेन्द्र डोंगरे TMC माइंस कच्चे, आयोजन समिति के अध्यक्ष ओमप्रकाश भुआर्या, उपाध्यक्ष जगदीश देहारी, दिनेश कचलाम, सचिव तेजप्रताप आमले, पूर्व सचिव गौतम देहारी, सह सचिव जयवर्धन नायक, कोषाध्यक्ष रमेश टांडिया, नरेश दीवान, सियाराम जैन, लोचन मंडावी, गीता देहारी, हीरोतिन राठौर, सावित्री दीवान, जिनका दीवान, शिरो बाई दीवान, शारदा भुआर्या, मोतीराम भालेश्वर, सुरजुराम भुआर्य, ललित देहाटी, सियाराम जैन, ढालसिंह पात्र, प्यारेलाल दीवान, शिवलाल मंडावी, नंदलाल दुग्गा, सतोष तोप्पा, भगत सिंह कोमरे देवलुराम देहारी, विश्राम सिंह ठाकुर, रामनाथ मण्डावी, श्रवण दुग्गा सहित ग्रामवासी उपस्थित रहें|जहाँ यज्ञाचर्या मोतीराम भालेश्वर जी ने अतिथियों और श्रद्धालुओं का मंत्रोच्चार के साथ विधिवत पूजन कराया। कलश यात्रा में सैकड़ों कन्याओं सहित आसपास के गांवों के हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। गाजे-बाजे के साथ निकली यह यात्रा आकर्षण का केंद्र रही, युवकों के जयकारे और महिला श्रद्धालुओं के भक्ति गीतों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा। जिसमें महिलाओ ने अपने सिर पर कलश लेकर गाजे-बाजे और भक्ति गीतों के साथ गांव के मुख्य मार्गों से निकाली गई, कलश यात्रा पवित्रता और आध्यात्मिक ऊर्जा के प्रतीक के रूप में पूरे वातावरण को भक्तिमय बना देती है, इसका उद्देश्य सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परिवर्तन लाना, समाज में सकारात्मकता फैलाना और ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त करना होता है| जिसमें जिसमें प्रथम दिवस छत्तीसगढ़ प्रदेश के ख्यातिलब्ध मानस मण्डलीयों का आगमन होगा और वे भगवान राम के चरित्र के साथ साथ मानवीय जीवन के उद्देश्य को श्रद्धालुओं तक पहुंचाये| मानसगान से क्षेत्र में सामाजिक जुड़ाव और भक्ति का माध्यम बनता है| जिसके फलस्वरूप विगत कई वर्षों से लगातार लोहत्तर जो एक ग्रामीण क्षेत्र है वहाँ भगवान राम की महिमा का बखान किया जा रहा है |जिसमें आज प्रथम दिवस सोमवार को श्रीरामचरितमानस गोस्वामी तुलसीदास द्वारा १६वीं सदी में रचित प्रसिद्ध महाकाव्य है। इसके नायक मर्यादा पुरुषोत्तम राम है और इसकी भाषा अवधी है। इस ग्रन्थ को अवधी साहित्य (हिंदी साहित्य) की एक महान कृति माना जाता है। इसे सामान्यतः 'तुलसी रामायण' या 'तुलसीकृत रामायण' भी कहा जाता है। श्रीरामचरितमानस भारतीय संस्कृति में एक विशेष स्थान रखता है।श्रीरामचरितमानस की लोकप्रियता अद्वितीय है। उत्तर भारत में 'रामायण' के रूप में बहुत से लोगों द्वारा प्रतिदिन पढ़ा जाता है। श्री रामचरितमानस में वर्णित एक महत्वपूर्ण प्रसंग है, जिसके अनुसार राजा प्रताप भानु एक धर्मात्मा शासक थे, लेकिन एक कपट मुनि (एक कपटी साधु) के धोखे में आकर उन्होंने यज्ञ में मांस परोसा, जिससे क्रोधित ब्राह्मणों ने उन्हें राक्षस बनने का श्राप दिया, और यही प्रताप भानु अगले जन्म में रावण बने, जिससे भगवान राम को अवतार लेना पड़ा। यह कथा धर्म-अधर्म, छल और परमात्मा की लीला को दर्शाती है। सहित राम जन्म, गौतम नारी अहिल्या उद्धार, से लेकर राम वनवास तक का कथा श्रवण कराया गया| जिसमें जय माँ शीतला मानस मण्डली हाटकोंदल दुर्गूकोंदल, पैरी लहर बालिका मानस परिवार दूधवारा धमतरी, स्वरांजलि मानस परिवार खुर्शुल, रूप ज्ञानोदय मानस परिवार मांडरी, गौरी महिला मानस परिवार रेंगाकटेरा, पीपर के छैया मानस परिवार परसोदा, श्रीरामचरितमानस परिवार खलना उड़ीसा की मानस मण्डलीयों  अपनी प्रस्तुति दी।

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