*संकुल समन्वयकों को दिया गया बहुभाषी शिक्षण प्रशिक्षण,स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देने का प्रयास*
दुर्गूकोंदल ।विकासखंड दुर्गूकोंदल में समस्त संकुल समन्वयकों के लिए एक दिवसीय खंड स्तरीय बहुभाषी शिक्षण प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। इस प्रशिक्षण का कुशल नेतृत्व एवं निर्देशन डाइट कांकेर के प्राचार्य आनंद कुमार गुप्ता ने किया तथा जिला नोडल बहुभाषी शिक्षा प्रशिक्षण शशि सिंह और खंड स्रोत समन्वयक लतीप सोम के मार्गदर्शन में प्रशिक्षकों डॉ. धनाजू नरेटी, सोमसिंह नरेटी और मुकेश उसेंडी के द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया गया। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य शिक्षकों को बहुभाषी शिक्षा की अवधारणा से परिचित कराना और स्थानीय भाषाओं के उपयोग के माध्यम से शिक्षण की गुणवत्ता को बढ़ाना था।जिला नोडल शशि सिंह ने अपने संबोधन में बहुभाषी शिक्षा (एमएलई) की परिभाषा और महत्व को विस्तार से समझाया। उन्होंने इस बताया कि बहुभाषी शिक्षा औपचारिक और अनौपचारिक शिक्षण परिवेश में एक या अधिक भाषाओं का उपयोग करती है। इसका मुख्य उद्देश्य भाषाई विविधता को बढ़ावा देना, अंतर-सांस्कृतिक संवाद को प्रोत्साहित करना, सामाजिक समावेशन को सुनिश्चित करना और सभी शिक्षार्थियों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के अवसर प्रदान करना है। शशि सिंह ने जोर देकर कहा कि स्थानीय भाषाओं जैसे गोंडी और छत्तीसगढ़ी को शिक्षण में प्राथमिकता देना आवश्यक है। इससे बच्चे तनावमुक्त वातावरण में शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं, जिससे न केवल उनका शैक्षिक विकास होगा, बल्कि वे अपनी सांस्कृतिक और भाषाई विरासत को भी संरक्षित कर सकेंगे। उन्होंने "मावा मोदेल" और "नियद नेल्लानार" जैसे स्थानीय वाक्यों का अर्थ समझाकर मातृभाषा के कक्षाकक्ष में उपयोग की प्रक्रिया को स्पष्ट किया। उनका कहना था कि मातृभाषा से शुरूआत कर मानक भाषा तक पहुंचना इस प्रशिक्षण का मूल लक्ष्य है। प्रशिक्षक डॉ. धनाजू नरेटी ने भाषा की परिभाषा और शिक्षण के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने भाषा को अभिव्यक्ति और संचार का सशक्त माध्यम बताते हुए इसके शैक्षिक महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि भाषा शिक्षण का लक्ष्य बच्चों में संचार कौशल को विकसित करना है, जो उनकी बौद्धिक और सामाजिक प्रगति के लिए आधारभूत है।सोमसिंह नरेटी ने भाषा सीखने की प्रक्रिया को एलएसआरडब्ल्यू (LSRW) यानी सुनना, बोलना, पढ़ना और लिखना के क्रम में समझाया। उन्होंने कहा कि बच्चे स्कूल आने से पहले सुनना और बोलना सीख चुके होते हैं। शिक्षकों का दायित्व है कि वे बच्चों को पढ़ना और लिखना सिखाएं। इसके लिए सहपाठी शिक्षण (पियर लर्निंग) और समूह आधारित शिक्षण (ग्रुप लर्निंग) को प्रभावी तकनीकों के रूप में प्रस्तुत किया गया। उन्होंने मातृभाषा के उपयोग को मानक भाषा सीखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
नई शिक्षा नीति 2020 और बहुभाषी शिक्षा प्रशिक्षक मुकेश उसेंडी ने नई शिक्षा नीति 2020 के प्रमुख उद्देश्यों और प्रावधानों पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने बताया कि यह नीति बहुभाषी शिक्षा को बढ़ावा देने पर विशेष जोर देती है। नीति के तहत मातृभाषा और स्थानीय भाषाओं को प्राथमिक शिक्षा में शामिल करने की अनुशंसा की गई है, ताकि बच्चों की सीखने की प्रक्रिया को अधिक समावेशी और प्रभावी बनाया जा सके। उन्होंने नीति के उन प्रावधानों को भी रेखांकित किया जो शिक्षकों को बहुभाषी शिक्षण के लिए प्रशिक्षित करने और पाठ्यचर्या में स्थानीय भाषाओं को शामिल करने पर केंद्रित हैं।खंड शिक्षा अधिकारी एस. पी. कोसरे और सहायक खंड शिक्षा अधिकारी अंजनी मंडावी ने बहुभाषी शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए इसे एक प्रभावी रणनीति बताया। उन्होंने कहा कि यह न केवल भाषाई विविधता और सामाजिक समावेशन को बढ़ावा देता है, बल्कि शिक्षार्थियों और शिक्षकों के लिए संज्ञानात्मक और सामाजिक-सांस्कृतिक लाभ भी प्रदान करता है। उन्होंने संकुल समन्वयकों से आग्रह किया कि वे इस प्रशिक्षण से प्राप्त ज्ञान और तकनीकों को अपने स्कूलों में लागू करें, ताकि विद्यार्थियों को इसका अधिकतम लाभ मिल सके। यह प्रशिक्षण न केवल शिक्षकों के लिए ज्ञानवर्धक रहा, बल्कि क्षेत्र में बहुभाषी शिक्षा को लागू करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। यह प्रशिक्षण विकासखंड दुर्गूकोंदल में बहुभाषी शिक्षा को बढ़ावा देने और स्थानीय भाषाओं के उपयोग को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल थी। मातृभाषा और स्थानीय भाषाओं के माध्यम से शिक्षण न केवल बच्चों के लिए सीखने की प्रक्रिया को आसान बनाता है, बल्कि उनकी सांस्कृतिक पहचान को भी मजबूत करता है। इस प्रशिक्षण से प्राप्त ज्ञान और तकनीकों को लागू करने से क्षेत्र के विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण और समावेशी शिक्षा प्राप्त करने में मदद मिलेगा।प्रशिक्षण में सुखदेव कोड़ोपी, राजकुमार चंद्राकर, बृजभूषण आर्य, धन्नूराम पदमाकर, देवप्रसाद प्रधान, गोवर्धन मंडावी, तुलसी केमरो, अस्सीराम कोरेटी सहित विकासखंड के सभी संकुल समन्वयक उपस्थित रहे।
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