सम्मान समारोह आयोजित कर पूर्व बीईओ एसपी कोसरे को दी गई विदाई
दुर्गूकोदल।विकासखंड दुर्गूकोदल में सोमवार को पूर्व खंड शिक्षा अधिकारी शिवप्रसाद कोसरे के सम्मान में एक भव्य विदाई सह सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम बीईओ कार्यालय, संकुल प्राचार्यों और समन्वयकों के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया। समारोह में कोसरे के उत्कृष्ट शैक्षिक योगदान, सशक्त नेतृत्व और प्रेरणादायी व्यक्तित्व की सराहना की गई, जिन्होंने अपने कार्यकाल में दुर्गूकोदल के शैक्षिक परिदृश्य को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में श्री शिवप्रसाद कोसरे, उनकी धर्मपत्नी श्रीमती चंद्रिका कोसरे, एवं नवपदस्थ खंड शिक्षा अधिकारी विप्लव कुमार डे उपस्थित रहे। समारोह का वातावरण भावनात्मक और गौरवमय रहा।सहायक खंड शिक्षा अधिकारी अंजनी मंडावी ने अपने संबोधन में कहा कि कोसरे के साथ कार्य करना एक शैक्षिक स्वर्णयुग जैसा रहा। उनकी सकारात्मक सोच, समयबद्ध कार्यप्रणाली और उत्कृष्ट नेतृत्व क्षमता ने पूरे विकासखंड में शिक्षा का स्तर ऊँचा किया। प्राचार्य राजेंद्र आवड़े, सत्येंद्र साहू और बैजनाथ नरेटी ने भी कोसरे के कार्यकाल की उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई, और उनका नाम आज भी प्रत्येक शिक्षक की जुबान पर है।संकुल समन्वयक राजकुमार चंद्राकर एवं शंकर नागवंशी ने बताया कि कोसरे के नेतृत्व में विकासखंड दुर्गूकोदल ने ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल कीं नवोदय विद्यालय प्रवेश परीक्षा में 40, एकलव्य विद्यालय में 200, तथा राष्ट्रीय साधन सह प्रवीण्य एवं प्रयास परीक्षा में 192 से अधिक विद्यार्थियों का चयन हुआ। उन्होंने कहा कि कोसरे न केवल कुशल प्रशासक थे बल्कि सच्चे शिक्षक और मार्गदर्शक भी थे।अपने भावनात्मक संबोधन में शिवप्रसाद कोसरे ने कहा कि ये उपलब्धियाँ किसी एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि संपूर्ण टीम के सामूहिक प्रयासों का परिणाम हैं। उन्होंने कहा,यदि खेत में बीज नहीं बोएँगे तो घास उगेगी वैसे ही बच्चों को ज्ञान और जिज्ञासा के बीज से सींचना आवश्यक है।उन्होंने अनुशासन को सफलता की कुंजी बताते हुए कहा कि आज का काम कल पर न छोड़ें। यदि हम अनुशासित रहेंगे तो हमारे विद्यार्थी भी अनुशासित बनेंगे।कोसरे ने अपने संबोधन में कहा कि नेतृत्व का अर्थ जीतना नहीं, बल्कि समझौते से व्यवस्था चलाना है। कभी-कभी संबंधों को बचाने के लिए हारना भी जरूरी होता है।लेखापाल जितेंद्र ठाकुर ने कोसरे के सहयोगात्मक स्वभाव की प्रशंसा की, वहीं बाबूलाल कोमरे ने उनके स्नेहिल व्यवहार और शिक्षकों के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण की सराहना की।समारोह में संकुल प्राचार्य श्यामसिंह नेगी, अजय नेताम, मनीषा सिन्हा, रामनारायण हिरवानी, घनाराम कश्यप, हीरानंद कोठारी, थानेश्वर चंद्राकर, संकुल समन्वयक सुखदेव कोड़ोपी, बृजभूषण आर्य, धन्नूराम पदमाकर, टिकेश्वर साहू, किशोर विश्वकर्मा, और कार्यालयीन स्टाफ जितेंद्र ठाकुर, रिशु जाड़े, नरेश करसालिया सहित सभी शिक्षाधिकारी और प्राचार्य उपस्थित रहे।कार्यक्रम के समापन पर उपस्थित सभी जनों ने कोसरे को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और प्रेरणा से दुर्गूकोदल का शैक्षिक भविष्य उज्जवल बना रहेगा।

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