*जल–जंगल–जमीन और आदिवासी परंपराओं पर आधारित छत्तीसगढ़ी फिल्म “दण्डाकोटुम” की शूटिंग प्रारंभ*
*जोहार फिल्म्स प्रोडक्शन की टीम पहुँची दमकसा आश्रम, दादा शेर सिंह आचला से लिया आशीर्वाद*
दुर्गूकोदल।छत्तीसगढ़ की आदिवासी संस्कृति, पेन-पुरखा परंपरा और जल–जंगल–जमीन के जीवंत संबंध को चित्रित करने वाली ऐतिहासिक फिल्म “दण्डाकोटुम” की शूटिंग 25 अक्टूबर 2025 से बस्तर के दुर्गम वनांचल क्षेत्रों में प्रारंभ हुई। यह फिल्म जोहार फिल्म्स प्रोडक्शन एवं कोया फिल्म प्रोडक्शन के संयुक्त बैनर तले बनाई जा रही है। फिल्म के निर्माता तिरु. रमेशचंद्र श्याम एवं निर्देशक तिरु. अमलेश नागेश हैं।
फिल्म की कथा आदिवासी समाज के उस मूल दर्शन को सामने लाती है, जिसमें मानव और प्रकृति का संबंध पूजा, भरोसा और सह-अस्तित्व पर आधारित है। फिल्म में दिखाया जाएगा कि आदिवासी समाज के पेन-पुरखा और बुढ़ादेव किस रूप में प्रकृति के तत्वों में विद्यमान माने जाते हैं, तथा जंगल केवल आजीविका का साधन नहीं बल्कि आस्था, पहचान और सांस्कृतिक धरोहर है।फिल्म के शुभारंभ अवसर पर छत्तीसगढ़ी फिल्म जगत के कलाकारों के साथ पद्मश्री तिरु. पंडीराम मंडावी एवं आदिवासी इतिहास व संस्कृति के सुप्रसिद्ध जानकार दादा शेर सिंह आचला उपस्थित रहे। स्थानीय ग्रामीणों ने भी पारंपरिक नृत्य और वाद्य ध्वनियों के साथ टीम का स्वागत किया।शूटिंग शुरू होने के पश्चात फिल्म टीम दमकसा (जिला कांकेर) स्थित दादा शेर सिंह आचला के आश्रम जंगो रायतार विद्या केतुल शिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान पहुँची। यह संस्थान 1992 से संचालित है और यहाँ संग्रहालय, ग्रंथालय, शोध कक्ष, पारंपरिक कला संग्रह, आवासीय व्यवस्था और धरोहर संरक्षण की सुविधाएँ उपलब्ध हैं। यहाँ गोंडी संस्कृति, शिल्प, ऐतिहासिक धरोहरों और प्राचीन सभ्यता से जुड़े दुर्लभ दस्तावेज़ एवं सामग्री संरक्षित है।दादा शेर सिंह आचला ने बताया कि उन्होंने अबूझमाड़ के वन, जीवन और पेन-परंपरा पर विस्तृत अध्ययन किया है, और इसी विषय पर कहानी भी लिखी है। उन्होंने कहा कि भविष्य में अबूझमाड़ विषयक छत्तीसगढ़ी फिल्म भी बनाई जा सकती है, जिसका प्रमुख किरदार अमलेश नागेश निभा सकते हैं। आचला जी स्वयं अमलेश नागेश के साथ अबूझमाड़ क्षेत्र का भ्रमण कर चुके हैं।निर्माता रमेशचंद्र श्याम ने कहा यह फिल्म हमारी मिट्टी, पुरखों और परंपरा को समर्पित है।



0 Comments