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Gariyaband: डि फंड ने छिना निवाला राज्यपाल के मौखिक आदेश पर जनपद में कार्य कर रहे दो महिलाकर्मी हटाये गये*

 *डि फंड ने छिना निवाला राज्यपाल के मौखिक आदेश पर जनपद में कार्य कर रहे दो महिलाकर्मी हटाये गये*


रिपोर्टर --जयविलास शर्मा 


*किडनी रोग प्रभावित सुपेबेडा के शिक्षाकर्मीयों के मौत के बाद परिवार को राहत पहुंचाने की गयी थी नियुक्ति



गरियाबंद --देवभोग ब्लाक के जिस बहुचर्चित किडनी रोग प्रभावित गांव सुपेबेडा में सरकारें बड़े -बड़े दावे करती आयी है वहां वर्ष 2020 को शिक्षाकर्मी खितीराम सोनवानी और प्रदीप क्षेत्रपाल की किडनी रोग से मौत हो गयी थी इनके मौत के बाद घर की माली हालत भी बिगड़ने लगी किडनी रोग के सुर्खियों में रहे सुपेबेडा का दौरा तत्कालीन सरकारों के स्वास्थ्य मंत्री के दौरा के बाद छग की महामहिम राज्यपाल अनसुईया उइके भी सुपेबेडा के दौरे में पहुंची थी परिवार की माली हालतों से त्रस्त मृतक शिक्षाकर्मियों की पत्नि वैदेही क्षेत्रपाल व लक्ष्मी सोनवानी ने परिवार भरण पोषण में हो रहे तकलीफ को दौरे पर सुपेबेडा पहुंची महामहिम राज्यपाल अनुसुइया उइके को सुनाया, व्यथा सुनने के बाद महामहिम के निर्देश पर तत्कालीन कलेक्टर ने मौखिक आदेश कर जनपद पंचायत सीईओ एम एल मंडावी को इन महिलाओं को भृत्य पद पर रखने के निर्देश दिये थे,जनपद पंचायत और मनरेगा शाखा में लगभग सात आठ महिने काम करने के बाद डी फंड का हवाला देकर जनपद  पंचायत सामान्य सभा ने 01 अप्रैल 2025 को दफ्तर से बहार का रास्ता दिखा दिया है।


*अब परिवार के भरण पोषण के लाले पड़े परिवार चलाना महिलाओं के लिये बड़ी चुनौती*


पति शिक्षाकर्मी पद पर पदस्थ थे इसलिये ना तो पेंशन सुविधा है और ना ही उनके पास जमा पूंजी बची जो था घर पर पति के इलाज में खर्च हो गये निकाले जाने के बाद अब परिवार के भरण पोषण के लाले पड़ गये है ऐसे में सुपेबडा की इन दो महिलाओं के सामने परिवार का भरण पोषण करना चुनौतीपूर्ण हो गया है।मंहगाई के जमाने में हाथ में पैसा नहीं राशन से लेकर बच्चों के पढ़ाई के लिये भारी भरकम खर्च जुटा पाना मुश्किल हो गया है जहां कलेक्टर दर पर नियुक्त से एक उम्मीद जगी थी वो भी निकाले जाने के बाद धराशायी हो गया है।


*शिक्षाकर्मी पति का संविलीयन नहीं इसलिये अनुकंपा नियुक्ति से बंचित*


मृतक शिक्षाकर्मी पति का संविलियन नहीं हुआ था इसलिये इनके वारिशानो के अनुकंपा नियुक्ति का भी आस नहीं बचा है अनुकंपा नियुक्ति को लेकर परिवार  की जिम्मेदारी सम्हाल रही महिलाएं पिछले पांच वर्षों से दफ्तरों का चक्कर काट तक चुकी हैं हालांकि अनुकंपा नियुक्ति की नई निति से खोई आस जगी है जिसके अंतर्गत राज्य सरकार ने अनुकंपा नियुक्ति में संविलीयन की बाध्यता को हटा दिया है पर मृतक शिक्षाकर्मी के वारिशानो का डीएड,बीएड होना जरूरी है डीएड बीएड की अनिवार्यता के कारण क्षेत्रपाल के वारिशान का प्रशिक्षण ना होना परिवार की चिंता को बढ़ा दिया है। 


*3 माह का मानदेय भी नहीं मिला,काट रही है दफ्तर का चक्कर*


महामहिम राज्यपाल के मौखिक निर्देश पर रखे गये किड़नी  रोग पिडित गांव के दोनों महिला ने जनपद पंचायत कार्यालय और मनरेगा शाखा में आठ महिने चपरासी का काम किया राज्यपाल के निर्देश के पालन करने का दिखावा करने वाली जनपद पंचायत ने पांच महिने का वेतन वेतन दिया 3 महिने का पारिश्रमिक राशि अभी तक नहीं मिला जिसके लिये निकाले गये महिलायें दफतर का चक्कर काट रहीं है।


*कहते हैं अधिकारी नहीं कोई मद कैसे रखें काम पर?*


जनपद पंचायत ने महामहिम राज्यपाल व कलेक्टर के मौखिक आदेश पर सुपेबडा की दो महिला को भृत्य पद पर रख तो लिया ,भुगतान से बचने मनरेगा शाखा में भेज दिया समय जहां कुछ महिने काम पर रखे गये मनरेगा शाखा ने जैसे तैसे कुछ महिने मानदेय भी भुगतान किया चूंकि मनरेगा शाखा में इसके लिये कोई अतिरिक्त मद नहीं है जनपद पंचायत सीईओ भारतीश भगत ने कहा भुगतान  हेतु कोई मद नहीं है इसलिये दोनो महिला कर्मी को काम से हटा दिया गया नियुक्ति से निकाले जाने के बाद अब  दो महिला के पास परिवार चलाना चुनौती भरा हो गया है।

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