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Balod: युक्तियुक्तकरण का आदेश तत्काल वापस लेकर नियमित शिक्षकों की भर्ती करे सरकार –महामंत्री मेघनाथ साहू

लोकेशन बालोद 

संजय कुमार 

युक्तियुक्तकरण का आदेश तत्काल वापस लेकर नियमित शिक्षकों की भर्ती करे सरकार –महामंत्री मेघनाथ साहू

*युक्तियुक्तकरण के नाम पर सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर गिरेगा*



 नये सेटअप के तहत शिक्षकों की न्यूनतम संख्या में कटौती और युक्तियुक्तकरण के नए नियम को जन विरोधी निर्णय करार देते हुए ब्लॉक काग्रेस कमेटी डौंडीलोहारा के महामंत्री  ने कहा है कि सरकारी शिक्षा व्यवस्था को चौपट करने साय सरकार ने षड्यंत्र रचा है, जिससे छत्तीसगढ़ के लगभग 5000 स्कूल बंद हो जाएंगे, साय सरकार के इस फैसले का सबसे बड़ा नुकसान बस्तर और सरगुजा के आदिवासी अंचलों में पढ़ने वाले बच्चों पर पड़ेगा। स्कूलों को जबरिया बंद किए जाने से न केवल शिक्षक बल्कि उन स्कूलों से संलग्न हजारों रसोईया, स्लीपर और मध्यान भोजन बनाने वाली महिला स्वसहायता समूह की बहनों के समक्ष जीवन यापन का संकट उत्पन्न हो जाएगा। नए सेटअप के तहत सभी स्तर प्राइमरी, मिडिल, हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलो में शिक्षकों के न्यूनतम पदों में कटौती के चलते युवाओं के लिए नियमित शिक्षक के पद पर नई भर्ती के अवसर भी कम हो जाएंगे शिक्षा के स्तर पर बुरा असर पड़ना निश्चित हैं।


 

महामंत्री मेघनाथ साहू ने कहा  है कि नए सेटअप में प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में एचएम को शिक्षकीय पद मानते हुए प्राइमरी में 30 और मिडिल में 35 बच्चों के बीच एक शिक्षा का सेटअप घोषित किया गया है। प्राथमिक शालाओं में पहली व दूसरी में तीन-तीन विषय एवं तीसरी, चौथी, पांचवी में चार-चार विषय के अनुसार कुल 18 विषय होते हैं, जिन्हें वर्तमान समय में तीन शिक्षकों को 40 मिनट का 6-6 कक्षा लेना होता है, अब युक्तियुक्तकरण के नए नियम के बाद दो ही शिक्षको के द्वारा 18 कक्षाओं को पढ़ाना कैसे संभव हो सकता है? मिडिल स्कूल में तीन क्लास और 6 सब्जेक्ट इस हिसाब से कुल 18 क्लास और 60 बच्चों की कुल संख्या में एचएम और उसके साथ केवल एकमात्र शिक्षक कैसे 18 क्लास ले पाएंगे? इसके अतिरिक्त मध्याह्न भोजन की व्यवस्था डाक का जवाब और अन्य गैर शिक्षकीय कार्यों की जिम्मेदारी भी इन्हीं पर रहेगी।

 


 भारतीय जनता पार्टी की साय सरकार नहीं चाहती कि छत्तीसगढ़ के बच्चों को उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध हो सके, इसीलिए निजी शिक्षण संस्थानों को लाभ पहुंचाने, सरकारी शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त करने का षड्यंत्र रचा गया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार ही 5484 स्कूल ऐसे हैं जो केवल एक शिक्षक के भरोसे हैं, 297 स्कूल पूरी तरह से शिक्षक विहीन है, पिछले सवा साल से भाजपा की सरकार है, इस दौरान एक भी पद नियमित शिक्षा की नियुक्ति नहीं की गयी। विधानसभा में 33000 शिक्षक के पदों पर भर्ती की घोषणा करके वह प्रक्रिया भी दुर्भावना पूर्वक रोक दी गई, अब युक्तियुक्तकरण और नए सेटअप के नाम पर हजारों स्कूलों को बंद करके शिक्षकों के पद को खत्म करने का अव्यवहारिक फैसला थोपा जा रहा है। सरकार पहले शिक्षकों को प्रमोशन दे, उनके लिये ट्रांसफर पॉलिसी तय करे उसके बाद ही युक्तियुक्तकरण का फैसला ले। नए सेटअप के नाम पर स्कूलों में शिक्षकों के न्यूनतम पदों मे कटौती का आदेश तत्काल वापस ले सरकार


*शिक्षक संघटन और शिक्षाविदों के अनुसार-*


यह रिपोर्ट प्रदेश में लगभग 4000 स्कूल बंद करने और 35,000 शिक्षकों के पद समाप्त करने के फैसले पर सवाल उठाती है। सरकार का तर्क है कि स्कूलों का एकीकरण (मर्ज) शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाएगा, लेकिन हकीकत में इससे ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में शिक्षा व्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचेगा। शिक्षक संघों का कहना है कि 2008 के सेटअप का पालन नहीं हो रहा और एक-एक शिक्षक पर कई-कई कक्षाओं का बोझ डाला जा रहा है। 

 

*प्राइवेट विद्यालय और निजीकरण को सिर्फ बढ़ावा-*  


यह फैसला न सिर्फ शिक्षा के निजीकरण को बढ़ावा देगा,,, बल्कि जनता के मन मे सरकारी विद्यालय से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए निजी विद्यालय की ओर जाएँगे साथ ही गरीब हजारों बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होगी। पद समाप्त होने से युवाओं के लिए शिक्षक बनने के अवसर भी घटेंगे। सवाल यह है कि जब खुद सरकार शिक्षकों की कमी स्वीकार रही है, तो फिर पदों को समाप्त कर किस आधार पर शिक्षा की गुणवत्ता सुधरेगी? यह नीति शिक्षा का अधिकार कानून की भावना के भी खिलाफ है।

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